गुरूवाणी
घर के दो भाग हों , एक भाग मे प्रकाश हो और दूसरे भाग मे हमेशा अंधकार हो। प्रकाश का वहाँ प्रबंध ही ना हो , एक ऐसे ही घर मे हम प्रकाश की ओर रहना पसंद करेंगे अपितु अंधकार वाले भाग से कुछ बुरा सा महसूस होगा और रात्रि के समय वहाँ जाना भी नहीं चाहेंगे।
ऐसे ही जीवन के दो भाग होते हैं। एक अच्छा और दूसरा बुरा होता है। अच्छा समय और बुरा समय मे जीवन प्रकाश और अंधकार महसूस करता है।
जैसे घर के अंधकार वाले भाग मे प्रकाश का प्रबंध कर दिया गया तो वहाँ प्रकाश होने लगेगा। कोई बल्ब वगैरा लगा दिया तो हमेशा वहाँ प्रकाश होने लगा। अब अंधकार वाले भाग को जब देखेंगे तब वहाँ से अच्छी ऊर्जा मिलेगी। प्रकाश अपनी ओर हमेशा आकर्षित करता है।
सवाल है कि प्रकाश हुआ कैसे ?
जवाब है एक बल्ब से और बल्ब बिजली से संचालित होता है। विद्युत प्रवाह एक शक्ति है। बल्ब अंधकार मे प्रकाश कर देता है। ऐसे ही परमात्मा एक शक्ति है और गुरू उस बल्ब की तरह हैं जो अंधकार मे प्रकाश कर देते हैं चूंकि गुरू परमात्मा की शक्ति से ठीक वैसे ही संचालित होते हैं जैसे एक बल्ब विद्युत से संचालित होता है। संसार मे मनुष्य का कल्याण ऐसे ही संत पुरूषों से होता है।
जीवन मे जब अंधकार होता है उसके बाद जब प्रकाश होता तब एक बार फिर हम बुरे समय के संबंध मे दर्पण की तरह देखते हैं। अच्छे समय के प्रवाह मे महसूस होता है कि बुरे समय का जो लंबा वक्त महसूस हो रहा था , जैसे इंतजार की घड़ियां उबाऊ होने लगती हैं और वह थोड़ा समय लंबा समय महसूस होता है वैसे ही बुरे समय मे हम बहुत तड़पते हैं और वह कालखंड हमको ऐसा लगता कि जाने कब बीतेगा ये समय ?
किन्तु अच्छे समय मे बुरे समय को देखने पर महसूस होने लगता है कि वह समय बहुत कम था। और उस बुरे समय मे कुछ ना कुछ प्रबंध फिर भी हुआ तभी तो हम जीते रहे ? जैसे कुछ धन का प्रबंध हो गया। थोड़ा-बहुत काम धंधा चलता रहा जिससे जीवनयापन हुआ। कोई ऐसा शख्स आ जाए जो सहायक हो जाए।
वो प्रबंध करने वाला कौन था ? अच्छे समय मे महसूस होने पर पता चलता है यही तो परमात्मा हैं। यही परमात्मा की शक्ति है। जो अंधकार से निकालने के लिए प्रबंध कर देते हैं जैसे हम मनुष्य कुएं से पानी भरने के लिए रस्सी और बाल्टी को बांध कर नीचे उतारते हैं और फिर उसी सहारे निकाल लेते हैं। ऐसे ही हमे अंधकार मे पहुंचा देते हैं पर विश्वास करें तो वही हमे अंधकार से निकालते भी हैं , ऐसे हैं परमात्मा।
इसलिए जिंदगी मे संत पुरूष का आगमन भी हो जाता है। संसार मे संत का होना आवश्यक है और यह संसार दुष्टों से भरा है तो संत भी हैं। गुरु भी हैं। यदि जीवन मे स्वीकार्यता हो तो हमे कोई ना कोई मिलता है जो अंधकार से बाहर निकालता है। उन्हें ही परमात्मा निमित्त बनाकर हमारे समीप भेज देता है।
अपने जीवन के मात्र दो भाग से परमात्मा की शक्ति को महसूस करिए। संसार को जानिए और इसके महत्व को समझिए। अच्छाई की ताकत बढ़ाएंगे तो सबके जीवन मे प्रकाश होगा। परमात्मा को इंकार करने वाले अंधकार के वाहक हैं और परमात्मा को स्वीकार करने वाले प्रकाश के वाहक हैं। प्रकाश के वाहक बनिए और अच्छाई के प्रसार हेतु कार्य करिए।
ॐ ब्रह्मदेवाय नमः