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बाजार संघर्ष के दौर से गुज़र रहा है। आनलाइन बाजार एवं स्थानीय बाजार मे खूब संघर्ष हो रहा है। स्थानीय व्यापारी खुद को असहाय महसूस करने लगा है। साथ ही हमारी व्यवहारिक संस्कृति का खात्मा होता जा रहा है।

हाल ही मे विनोद केसरवानी प्रिंस मोबाइल की एक पोस्ट सोशल मीडिया पर तैर रही थी। जिसमे लिखा गया कि मैं आनलाइन मार्केट का विरोध करता हूँ। चूंकि इससे छोटे व्यापारियों का व्यापार ठप्प हो रहा है। छोटा व्यापारी जो आनलाइन मार्केट की प्रतिस्पर्धा नही कर सकता उसके लिए व्यापार अब घाटे का सौदा हो रहा है।

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प्रिंस मोबाइल शहर की मशहूर दुकान है। जिन्होने आनलाइन मार्केट का विरोध किया। और स्थानीय नेताओं को चेताया कि इस ओर ध्यान दीजिए अन्यथा एक दिन व्यापारी सरकार का विरोध करेगा। बेशक विरोध होगा लेकिन इसका हल भी खोजना होगा।

समय को स्वीकार करें और आनलाइन मार्केट से अपनी स्थानीय दुकान को जोड़ लें। कम्पटीशन करना होगा। किन्तु सच है कि कम पूंजी का व्यक्ति आनलाइन मार्केट की ग्लोबल कंपनीज से कम्पटीशन बमुश्किल ही कर पाएगा। इसलिए यह वास्तव मे चिंता की बात है।

हम और भी व्यापारियों की राय इस मामले मे लेंगे। किन्तु मुझे एक व्यवहारिक बात पता है कि जब आप स्थानीय बाजार से खरीददारी करते हो तो ग्राहक और व्यापारी का सामाजिक रिश्ता हो जाता है जबकि आनलाइन मार्केट की कंपनी आपको जानती तक नही और कभी आपके सुख दुख मे नही आएगी। किन्तु आपके शहर का व्यापारी दिल से जुड़ेगा और दुख मे सहयोगी होगा , ऐसा होता भी आया है।

इसलिए हमे अपने मूल को पहचानना चाहिए और रिश्ते बनाने चाहिए। पैसा आज है कल नही रहेगा और पैसा वहाँ दें जहाँ से हमारे दिल को दुख के समय सुकून मिले और जरूरत के समय वो व्यापारी साथ देने को खड़ा हो जाता है। आप अपनी राय जरूर दीजिए हम लगातार इस विषय पर लिखेंगे। स्थानीय नेताओं से अपील कर कहा कि स्थानीय बाजार को बचाएं।

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