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आंधी और बारिश का समय था। मुझे एक दुकान में शरण मिली थी। एक लगभग दस – बारह वर्ष का बच्चा भी बैठा था। वो बातों ही बातों में मातृ पक्ष की गाली देते हुए बोल रहा था। सुनते ही मैं हैरान रह गया।

दुकान वाले भैया से कहने लगा कि देखिए अभी इसकी उम्र ही क्या है ? , और ये अश्लील शब्दों का प्रयोग कर रहा है। मेरे सवाल के जवाब के साथ उन्होंने एक और बच्चे की कहानी बताई।

उनकी दुकान में एक बच्चा टाफी लेने आया था। उसने एक ₹ का छोटा वाला सिक्का दिया , तो उन्होंने कहा कि पापा से बड़ा वाला सिक्का लेकर आओ , ये छोटा वाला सिक्का नहीं चलता।

उस बच्चे ने सिक्का उंगलियों में फंसाकर गोलाकार गति से जमीन पर चला दिया और कहने लगा कि देखा सिक्का चल रहा है कि नहीं ?

उस बच्चे का कहना बिल्कुल सही था कि सिक्का तो चल रहा है। दुकान वाले भैया ने सिक्का वापस किया और टाफी पुरस्कार में दी। ये बच्चा भी प्राथमिक स्तर में आदर्श विद्या ज्ञान मंदिर का अंडर फिफ्टीन एज ग्रुप का बालक है। इसका आईक्यू लेवल कितना हाई लेवल का है , इस घटनाक्रम से अंदाजा लगाया जा सकता है।

मैं इनके पिता शारदा प्रसाद से भी मित्रवत परिचित हूँ तो पढाने वाले स्कूल टीचर एवं ट्विटर मेरे बचपन के मित्र वीरेन्द्र सिंह हैं। अच्छी शिक्षा के लिए बहुत अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर ही जरूरी नहीं और सरकारी मानक द्वारा तय बीएड – टीईटी आदि की डिग्री की ही आवश्यकता भर नहीं होती , बल्कि शिक्षक के भाव के साथ स्कूल के अंदर का स्वस्थ माहौल व संस्कार प्रदान करने की इच्छाशक्ति होती है।

बचपन में ही पढ़ा था कि बच्चे की प्रथम पाठशाला माँ की गोद होती है अर्थात परिवार के अंदर ही पहली कक्षा और स्कूल होता है। बच्चों के उज्ज्वल भविष्य हेतुु माता पिता जिम्मेदार होते हैं।

एक वह बच्चा था , जो उसी उम्र में अश्लील शब्दों का धडल्ले से प्रयोग कर रहा था। , और उसके भविष्य का अंदाजा खूब लगाया जा सकता है कि समय रहते सुधार नहीं हुआ , तो घर परिवार से लेकर समाज व राष्ट्र को कलंकित करने वाला मानव के रूप में दानव तैयार हो रहा है।

एक दूसरा बच्चा है , जो कम उम्र में ही सभ्य है और तार्किक क्षमता से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुष्प की तरह खिलता हुआ महक छोड़ जाएगा। बशर्ते काली दुनिया की काली छांव ना लगने पाए वरना पुष्प मुरझाने लगते हैं।

इसलिये आज हमारे समक्ष जैसा भी समाज है , उसमें समाज का ही सरोकार और समाज का ही दोष है। फैसला समाज को ही करना है कि कैसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं।

अच्छे समाज के निर्माण के लिए अच्छे तर्कवान बच्चों का तैयार होना आवश्यक है। अपने बच्चे को पहचानिए , निगरानी रखिए ताकि वह बिगड़ ना सके और सशक्त सभ्य होकर समाज के हर क्षेत्र में नेतृत्वकर्ता बन सके।

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