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By – Saurabh Dwivedi

हाँ मैं चित्रकूट की वह सड़क हूँ , जिस पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष सहित दर्जनों कांग्रेसियों ने धान की खेती कर ली। ये राजनीति की खेती से ज्यादा भ्रष्टाचार का वह जवाब है , जो लाजवाब होने के साथ बेहद जरूरी था। मुझे दर्द नहीं कि वाहन चलने की जगह मुझ पर धान की खेती हो रही है।

असल में वाहन चलते हैं तो मुझ पर दुर्घटना का कलंक लगता है और यह कलंक मुझे पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता सहित सरकार ने उन नुमाइंदों ने प्रदान किया , जिन्होंने बारी – बारी से भ्रष्टाचार कर अपनी कोठियां भर ली पर मुझे चुस्त दुरुस्त नहीं कर सके।

यहाँ से हरफनमौला नेता हर रोज निकलते हैं पर उनकी आंखो में धृतराष्ट्र वाली पट्टी बंधी होती है। ये मेरे दर्द को भूल जाते हैं , जब रातों-रात सहायक अभियंता ए.के सिंह ने मेरे नाम से बहत्तर लाख की धनराशि निकाल कर घटिया डामरीकरण करा कर धन हड़प लिया और आज वही सत्ता के साए में अट्टहास कर स्थानांतरण रूकवाने को यहाँ से लखनऊ तक भागमभाग लगाए है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन के समय मैं रंग रोगन हो चुकी थी , फिर भी अधूरे वस्त्र पहनकर एकतरफा नग्न ही रही मैं ! योगी चले गए तो प्रभारी मंत्री आए और फिर मुझ पर घोषणा हुई कि जल्द ही मेरे दिन बहुर जाएंगे परंतु सावन आने के बाद भी विरान रही आई।

जब मुझ पर जलभराव हो गया तब कांग्रेस जिलाध्यक्ष पंकज मिश्र ने धान की रोपाई कर पीडब्ल्यूडी के भ्रष्टाचार को उजागर करने का जो सत्कर्म किया उसकी मैं कर्जदार रहूंगी। काश सत्तासीन वह नेता आंख खोल लेते और पंकज मिश्र की बात सुन लेते तो उन्हें पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता व अधिशाषी अभियंता का भ्रष्टाचार समझ आ जाता और लखनऊ अटैच हो चुका अधिकारी अपनी अटैची लेकर चित्रकूट छोड़ देता। इतना ही नहीं कामतानाथ की परिक्रमा करने वाले और कसम खाने वाले जनप्रतिनिधि इस अधिकारी की अगर पूर्ण जांच करा दें तो मुझ पर चली भ्रष्टाचार की प्रत्येक कुदाली का दर्द खत्म हो जाता।

मैं कांग्रेस की कर्जदार रहूंगी और इंतजार है उस जनप्रतिनिधि के कुछ करने का जिनके कदमों की आहट से भ्रष्टाचारी को सजा हो और श्रद्धालू आराम से चित्रकूट दर्शन का लाभ ले सकें।

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