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By – Saurabh Dwivedi

पिछले दिनों स्वास्थ्य कर्मी फारूख अहमद खान अंकल के पास बैठा था। विमर्श के दौरान उन्होंने एक कहानी सुनाई जिसे आप सभी से साझा कर रहा हूं। 

एक जिले में एक डीएम साहब आए थे। उनके जिले के एक गांव में पानी की विकराल समस्या थी। ना पीने को पानी था और ना खेत सीचने को पानी था। 

इस समस्या से निपटने के लिए तय हुआ कि 30 करोड़ की लागत से एक तालाब खुदवाया जाए। जिसमे तमाम किसानों की जमीन लेना और उसका मुआवजा देना भी तय था। सबकुछ कागजों मे तैयार हो गया था। 

तालाब भी खुद गया और सरकारी धन का सम्पूर्ण बजट भी ठिकाने लग गया। सरकार के नजरिए में अब उस गाँव मे पानी की कोई समस्या नहीं रह गई थी। 

कुछ समय बाद जिले मे दूसरे डीएम आ जाते हैं। गांव वाले पुनः पानी की समस्या को लेकर डीएम के पास आते हैं। 

जब डीएम ने बजट और योजना पर नजर दौड़ाई उसके बाद धरातल पर मुआयना करने पर पता चला कि तालाब सिर्फ और सिर्फ कागजों पर खुदा था और उस तालाब का एक ही खुदा पूर्व डीएम थे। जिन्होंने सरकारी धन का बंदरबांट कर लिया लेकिन किसानों की जल की समस्या हल नहीं हुई थी।

अब नए डीएम का कर्तव्य बनता था कि इस पूरे मामले की टीएसी जांच करा दे और दोषी डीएम को सजा होनी चाहिए। 

किन्तु हमारे देश मे ऐसा ना होकर कुछ इस प्रकार होता है कि वो उस डीएम के भी खुदा के खुदा निकले कागज में ही तालाब के जल को गांव वालों के फर्जी हस्ताक्षर से जहरीला दिखाकर कि इसके जल को पीकर मवेशी आदि के मर जाने की सम्भावना पायी जाती है, लिहाजा इस तालाब को समाप्त कर देना चाहिए। 

अब तालाब को पाटने हेतु 1 करोड़ पचास लाख ₹ पारित हो जाते हैं। इस प्रकार से 31 करोड़ 50 लाख ₹ का गमन दो डीएम आपस मे कर लेते हैं। हमारे देश की हकीकत भी यही है कि जनता हर बार सोचती है कि सत्ता परिवर्तन होगा तो केजरीवाल शीला दीक्षित के किए भ्रष्टाचार के आधार पर जेल भेज देगा, अखिलेश यादव सत्ता पर आएंगे तो मायावती द्वारा जनित भ्रष्टाचार के आधार पर वो जेल मे होगीं, योगी जी सत्ता मे आएंगे तो शिवपाल सहित सभी भ्रष्ट जेल मे होगें। मोदी जी सत्ता मे आएंगे तो सोनिया गाँधी के इशारों पर हुए तमाम भ्रष्टाचार के आधार पर वो जेल चली जाएंगी। 

लालू यादव तो फरार ही है और बिहार में एक झटके मे डैम खत्म हो जाता है। हमारी मातृभूमि के सपूत अब सपूत नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के कुपूत बने हुए हैं। 

एक बात सच है कि भारत एक हिरण है, जिसका सलमान जैसे शौकीन लोग लगातार शिकार कर रहे हैं और सबूतों के अभाव में बाइज्जत बरी हो जाते हैं। 

जनता में इतनी उदासीनता छा चुकी है कि हल्की सी दुश्मनी व मनमुटाव ना हो उसके लिए वो गाँव मे हो रहे “नैनो करप्शन” पर आवाज नहीं उठा पाते हैं। 

निर्माण कार्यों की धांधली में कमीशनखोर हर बड़ा अधिकारी, नेता और ठेकेदार एक ही गिरोह के सदस्य हैं बस जनता ही एक ऐसी है जो भारत माता की जय और वंदेमातरम् का नारा लगाते हुए भी भारत और भारतीतयता का शिकार लगातार होने दे रही है। 

सच सिर्फ सच होता है और सांच को आंच नहीं होती है। ये कहानी आज के दौर में बिलकुल सच के सापेक्ष है। जनता को स्वीकार करना होगा कि आप लोकतंत्र के चतुर बनियों द्वारा लगातार ठगे जा रहे हैं, जहाँ धर्म मजहब के ऊलजलूल मुद्दो पर उलझाकर असली राजनीतिक, प्रशासनिक सत्ता तथा भ्रष्टाचार की रोटियां सेकी जा रही हैं और देश के लगभग 35 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं तो वहीं रोजगार का टोटा है। व्यापार करने के लिए धन नहीं लेकिन हमारे देश का सिस्टम ही कुछ ऐसा है कि जब तक यहाँ दूसरी जनक्रांति नहीं होती तब तक भारत पूर्ण रूपेण स्वच्छ और स्वस्थ नहीं हो सकता है। 

कागज के फूलों की क्षणिक खुशबू की खुशफहमी मे मत रहिए वास्तविक खुशी के लिए कुछ तो करिए जनाब… 

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