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By :- Saurabh Dwivedi

दैनिक जागरण के चित्रकूट जिला संवाददाता सत्यप्रकाश द्विवेदी का कहना है कि मतदान के जरिए ही लोकतंत्र को स्वस्थ किया जा सकता है। ऐसे में किसी भी वर्ग की मतदान के प्रति उदासीनता समाज के लिए घातक है :- ( प्रेस क्लब अध्यक्ष चित्रकूट )

एक विशेष व्यक्ति से चर्चा के दौरान सवर्ण मतदाता को लेकर मंथन हो रहा था। जिसमे एक विशेष तथ्य यह था कि ब्राह्मण , ठाकुर और बनिया वर्ग के घरो में नई बहू आई हो। मतदान की तिथि हो तो किसी भी सूरत मे नई बहू मतदान के लिए नहीं निकलती। ऐसे अनेक कारण गिनाए जाते हैं कि सवर्ण मतदाता का मतदान प्रतिशत कम होता है। जबकि सबसे अधिक शिक्षित व जागरूक मतदाता सवर्ण मतदाता को माना जाता है।

नई बहू के मतदान में ना निकलने का कारण अत्यधिक गर्मी का होना। दूसरा पहलू आज भी छुआछूत का भी कहा जाता है। इक्कीसवी सदी में भी छुआछूत की बीमारी से राष्ट्र का सबसे महत्वपूर्ण पर्व मतदान दिवस प्रभावित होता है। एक पहलू यह भी कि नई बहू पर सबकी नजर गड़ी रहेगी। अतः परिवार की भी मंशा रहती है कि बहू मतदान करने नहीं जाएगी।

नई बहू कम मतदान होने का सर्वोत्तम उदाहरण है। जबकि माना यह जाता है कि सवर्ण मतदाता अन्य की अपेक्षा कम मात्रा मे मतदान को घरों से निकलते हैं। जबकि वहीं मतदान मे सबसे अधिक भागेदारी अनुसूचित जाति के लोग निभाते हुए दिखते हैं।

एक नारा भी है , जिसकी जितनी भागेदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी ! इसलिए जो अधिक मतदान करेगा उसकी लोकतंत्र में अधिक भागेदारी होगी। उसकी आवाज की धार पैनी होगी। उसकी आवाज सुनी जाएगी। चूंकि नेता जी को मालूम रहता है कि ये लोग पतझड़ की तरह एकतरफा मतदान के लिए निकलते हैं।

मतदान राष्ट्रीय कर्तव्य है। प्रत्येक नागरिक को जो मतदाता बन गया है। एक सशक्त सरकार , मजबूत सरकार चुनने के लिए मतदान अनिवार्य रूप से करना चाहिए। मजबूत और सशक्त सरकार ही केन्द्र से चलने वाला पूरा एक रूपया सीधे लाभार्थी के खाते में पूरे एक रूपए के रूप मे पहुंचाती है :- आलोक कुमार पाण्डेय ( प्रदेश सहसंयोजक नीति शोध विषयक विभाग भाजपा )

मतदान करने को सभी को जागरूक करने की जरूरत है। मुस्लिम समुदाय भी मतदान में अत्यधिक भाग लेता है। अतः सवर्ण मतदाता को अनुसूचित जाति , जनजाति और पिछड़ी जातियों के अत्यधिक मतदान करने की नीति से सीख लेनी होगी। घरों से अधिक से अधिक निकलकर राष्ट्र हित मे मतदान करना चाहिए।

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