@Saurabh Dwivedi
स्मार्ट फिल्म प्रोडक्शन एंड अर्थ एंटरटेनमेंट के बैनरतले एक संदेश परक मूवी का निर्माण हुआ , जिसको डायरेक्ट प्रमोद गौरव ने किया। किसी मूवी की जान उसके दृश्य होते हैं और ऐसे दृश्यों का डायरेक्शन डायरेक्टर आफ फोटोग्राफी अविनाश राणा ने किया है। महामारी के समय में बुंदेलखण्ड के चित्रकूट मे युवा कलाकारों ने मूवी बनाकर कला की मिशाल पेश की है , जिसके हेड आॅफ डायरेक्शन करन मौर्या हैं एवं सह – कलाकार आदित्य विक्रम सिंह , कल्लू डाॅन , आशीष सिंह , विद्यासागर सिंह एवं रोहन सिंह हैं।
आपदा मे अवसर तलाशने का समय है। महामारी के समय एक युवा कलाकार को मुंबई से वापस आना पड़ा। वह वापस गृह जनपद चित्रकूट आया। किन्तु उसने जिंदगी में हार नहीं मानी , अपने अंदर की कला को मरने नहीं दिया। पहले चित्रकूट से जाकर मुंबई मे संघर्ष किया फिर समय के बदलाव में मुंबई से वापस आकर चित्रकूट मे संघर्ष शुरू हुआ , किन्तु कुछ करने की जिजीविषा ने बड़ा परिणाम प्रदान कर दिया .
चंद्रहास पाण्डेय चित्रकूट के युवा कलाकार हैं। जो कभी मुंबई में कला की संभावनाएं तलाशने गए। किन्तु कोविड – 19 की वजह से मुंबई का संघर्ष कुछ सफलताओं के साथ समाप्त हो गया। इधर गृह जनपद मे उन्होंने कला की संभावनाएं तलाशना शुरू किया तो एक बड़ा परिणाम बुंदेलखण्ड को प्रदान कर रहे हैं।
अपनी शार्ट मूवी आइसक्रीम वाला की शूटिंग उन्होंने चित्रकूट जनपद के पहाड़ी क्षेत्रों मे किया। एकदम प्राकृतिक संपदा के मध्य कला की संपदा को संवार दिया , समृद्ध कर दिया। जिन स्थानों पर डाकुओं का राज चलता रहा हो उन जगहों पर डाकू और आम जनजीवन के मध्य के संघर्ष को फिल्माया गया है।
देवांगना घाटी चित्रकूट का प्रसिद्ध स्थल है। जहाँ अब एयरपोर्ट भी बनकर तैयार है , बस फ्लाइट की लगातार उड़ान और लैंड होने की देरी है। वहीं से लेखक आनंद दुबे द्वारा लिखित कहानी का फिल्मांकन कर अंतिम स्वरूप प्रदान किया गया है। जहाँ कभी पुलिस अधीक्षक का कार्यालय हुआ करता था , वहीं कालूपुर परिक्षेत्र मे मूवी की शूटिंग की गई और यह भी एक महत्वपूर्ण स्थान है , इस तरह सिद्धपुर आदि स्थानों पर इन्होंने शूटिंग की है। जिनमे मिनी खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध चित्रकूट के गणेश बाग में मूवी के दृश्य ना सिर्फ मूवी को अच्छा स्वरूप प्रदान करते हैं अपितु गणेश बाग का चित्रकूट में महत्व को दर्शाते हैं।
आइसक्रीम वाला नाम देकर चोर गिरोह की कहानी में बड़ा थ्रिलर प्रदान किया गया है। कहानी चोर और आम जनजीवन की है परंतु नाम आइसक्रीम वाला है तो इस रहस्य का पर्दाफाश मूवी को देखने के बाद दर्शक ही कर सकेंगे। आमतौर पर डाकूओं से संबंधित मूवी का नाम कोई दबंग प्रकार का होता है परंतु युवा कहानीकार एवं कलाकार ने चोरों के राजा के साथ युवा प्रजा के मन – मस्तिष्क से जोड़ने का प्रयास किया है।
यह कहानी चोरों मे भी आपसी बेइमानी से आगे बढ़ती है। जिनमें एक चोर द्वारा अधिक मूल्य की चीज हजम करने का पता चलते ही सरदार और सदस्यों के बीच द्वंद पैदा हो जाता है , इस बीच पोस्टर पर आइसक्रीम वाला दिख रहा है जिसकी भूमिका से मूवी मे बड़ा रहस्य है।
कुलमिलाकर यह मूवी बुंदेलखण्ड की मूवी है। आपदा मे अवसर की मूवी है। आत्मनिर्भर भारत की वास्तविक वर्तमान तस्वीर है जिसे कुछ युवाओं ने स्वयं की इच्छाशक्ति व मेहनत से साकार किया है।
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{ Saurabh Chandra Dwivedi
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