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By – Saurabh Dwivedi

पौराणिक कथाओं में “समुद्र मंथन” का वर्णन किया गया है। तब देव और दानव ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। उस मंथन से तमाम हीरे, मोती, रत्न, विष और अमृत निकले थे।

वर्तमान समय में ऐसा ही फेसबुक पर हो रहा है। यहां भी विचारों का मंथन चल रहा है। अनेक विचार धाराओं के लोग, तरह तरह के रूपवान, कुरूपवान, कुत्सित विचार, तत्सम विचार के लोग सक्रिय हैं। कुछ बहरूपिये भी सक्रिय हैं।

कुछ लोग यहां मौज मस्ती के लिए आते हैं तो कुछ लोग देश और समाज के लिये लिखने के लिए आते हैं। कुछ ऐसे कामदेव भी सक्रिय हैं जो फोटू फोटू खेलते हैं और इनबाॅक्स में चाल चरित्र प्रदर्शित होता है।

कुछ बहने तो मनचलों का स्क्रीन शाॅट ही शेयर कर विस्फोट कर देती हैं तो कुछ महिलायें चुपचाप ब्लाक करके शांति प्राप्त करती हैं। उनका अपना मत रहता है कि स्क्रीन शाॅट डालने से हमारी अपनी छवि पर भी असर पडता है।

कुछ मर्दवादी सामंतवादी मानसिकता के लोग अश्लील शब्दो का प्रयोग कर के पोस्ट और कमेंट करते हैं। कुछ लोग सिर्फ हिन्दू मुस्लिम करने के लिए फेसबुक पर आये हुए हैं।

तो वहीं एकाध ऐसे तिलिस्म रचने वाले महानुभाव भी हैं। जो भावनाओं से खेलना जानते है। वे अपनी डिजाइनर भावनाओं को बाजारू बना दिये हैं। संभव है कि मैं कम लिख पाऊं। मेरी अंतस की नजर कहीं से अछूती रह जाये। इसलिये सिर्फ इतना कहते हुए अपनी बात खत्म कर रहा हूं कि हमारे शब्द और विचार ही हमारे चरित्र का आइना होते हैं।

पता नही फेसबुक का यह मंथन कब क्या गुल खिलायेगा पर यकीन के साथ कहता हूं कि यहां से हीरे, जवाहरात, मोती और विष व अमृत भी मिला है। सबके अपने अपने अनुभव हैं। संभव है कि आपका भी कुछ विशेष अनुभव होगा। जिसे आजतक आपने लिखा नही होगा तो आज समय और नियति से यह अवसर आपके सामने है। लिख डालिये फेसबुक पर फेसबुक की मन की बात ताकि मुझे भी ज्ञान हो जाये कि क्या कुछ अभी इस मंथन से जानना शेष रह गया था ?

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