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@Saurabh Dwivedi

गांव पर चर्चा नोनार जनपद चित्रकूट के संबंध में बांदा लोकसभा सांसद आर. के. पटेल से एक मुलाकात एवं चर्चा के प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश.

इक्कीसवीं सदी मे गांव क्या सोचता है ? इक्कीसवीं सदी में गांव क्या चाहता है ? गांव पर चर्चा के इस मंथन में सोचना और चाहने की बात उभरकर सामने आएगी। इसी उद्देश्य को लेकर जनपद चित्रकूट के ग्राम नोनार से चर्चा का शुभारंभ किया गया , जो चर्चा का विषय बन गया है। गांव के मुद्दों को प्रकाश में लाने के लिए समाज के जिम्मेदार शख्सियतों से मुलाकात कर संवाद करने का क्रम चल पड़ा है। जिससे गांव के मंथन से उभरे हुए मुद्दे शनैः शनैः राष्ट्रीय पटल पर उभर सकें।

इस चर्चा के संबंध में बांदा सांसद आर. के. सिंह पटेल से मुलाकात हुई। उनसे गांव पर चर्चा के उद्देश्य को साझा किया गया। यह बताया गया कि गांव के भौतिक विकास के साथ मानसिक विकास विमर्श का हिस्सा है। प्रकृति संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना और वृक्षारोपण कर हरे – भरे गांव के उद्देश्य को फलित करना है। गांव की वह समस्याएं जो आजादी से अब तक गुलामी काल की निशानी बनी हुई हैं। प्रमुख समस्याओं का अंत कर विकास की गति को रफ्तार मिले सके।

गांव के युवाओं के मानसिक स्तर पर भी चर्चा हुई। वोकल फार लोकल को गांव से चरितार्थ करने के लिए अपनी बात रखी गई। बदलते समय के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर फोकस करने व दृढ प्रयास करने के लिए चर्चा की आवश्यकता पर बल दिया गया।

युवाओं के मानसिक विकास के लिए शिक्षा – दीक्षा और प्रशिक्षण के लिए कुछ करने की सोच पर बल दिया , इस तरह से वो तमाम मुद्दे जो गांव के गांव में दफन हैं पर अब उन्हें बाहर निकालकर हल करना होगा।

उन्होंने हमारे उद्देश्य को सुना और चर्चा के उद्देश्य से सहमति जताई। सांसद आर . के . सिंह पटेल ने कहा कि यह एक अच्छा संवाद कार्यक्रम है। उन्होंने कहा चूंकि मैं गांव से हूँ और हम सभी लगभग गांव से ही हैं तो गांव की प्राचीन प्रकृति – संस्कृति को भलीभांति समझते हैं परंतु स्वतंत्र रूप से ऐसा प्रयास गांव के लिए होना आवश्यक था।

शुरूआत हमेशा किसी एक गांव से होती है। चर्चा का शुभारंभ नोनार गांव से हुआ तो नोनार ग्राम वासियो को शुभकामनायें कि इस उद्देश्य के साथ नोनार गांव का नाम प्रकाश मे आ रहा है। यह हमारे चित्रकूट जनपद के प्रमुख गांवो मे से एक प्रमुख गांव है। इस गांव की समस्याएं प्रकाश मे आएंगी , जिनका हल समय के अनुकूल किया जा सकता है। लेकिन बड़ा पक्ष यह है कि सोचने – समझने के तरीके मे कितना बदलाव आया इसका पता लगेगा।

युवाओं से संवाद करने पर उनकी व्यथा समाज के सामने आएगी। और युवा कौशल के सामने आने से ग्राम स्तर पर देश – विदेश के किसी कोने से भी कोई कुछ करने को सोच सकता है। जैसे कि वर्तमान समय में निवेशकों की सोच गांव मे निवेश करने की है , ऐसे मे यह आशा प्रबल हो जाती है।

वहीं सांसद प्रतिनिधि शक्ति प्रताप सिंह तोमर ने कहा कि स्वच्छता गुलामी काल से अब तक एक बड़ा मुद्दा है। गांव में स्वच्छता सबसे अधिक जरूरी है। गांव की जनता स्वच्छता पर विशेष ध्यान दे , जिससे उत्तम स्वास्थ्य की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। फिलहाल इस वक्त स्वच्छ गांव से ही बीमारियों से निजात पाई जा सकती है।

अंत में उन्होंने बधाई दी और कहा कि यह चर्चा अनवरत रूप से जारी रहे। जिस प्रकार से गांव के व्यापारी और युवा प्रतिभाओं के संबंध मे लिखा जा रहा है , वैसे में विकास और सफलता के द्वार खुलने लगते हैं।

सबसे बड़ी बात है कि कोरोना संक्रमण के दौरान वायरस को मारना जितना जरूरी है , उतना ही जरूरी लोगों की सोच में व्याप्त हुए संक्रमण को मिटा देना है। इस चर्चा के दौरान कोरोना वायरस को लेकर जागरूक किया जाना विशेष पक्ष है और यह समय की मांग भी है। इसके अलावा उन्होंने गांव पर चर्चा व गांव के उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनायें प्रदान कीं। 
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