
चित्रकूट : जीवन में कुछ क्षण ऐसे होते हैं जो साधारण प्रतीत होते हुए भी असाधारण बन जाते हैं। ऐसा ही एक अनुभव मुझे तब प्राप्त हुआ जब मैं अचानक ही ‘इनफिनिटी टाइल्स’ के शो रूम पहुंचा। वर्षों से इस शो रूम के सामने से निकलता रहा था, परंतु उस दिन अनुराग शुक्ला जी से मिलने का संयोग ऐसा बना जैसे यह पहले से तय हो।

हम दोनों की भेंट हुई और टाइल्स व्यवसाय से जुड़ी अनेक जानकारियाँ प्राप्त करने का अवसर मिला। बातचीत के क्रम में जब अनुराग शुक्ला जी ने मुझे भगवान कामतानाथ की एक तस्वीर भेंट की, तो वह क्षण मेरे लिए मात्र एक उपहार ग्रहण करने का नहीं था, बल्कि वह एक दिव्य संकेत था। यह संकेत था कि कामनाओं के नाथ, अनाथों के नाथ स्वयं मेरे कार्यालय में स्थान ग्रहण करने के लिए पधार रहे हैं, और इस महान कार्य के निमित्त बने अनुराग शुक्ला।
इस घटना ने मुझे आत्मचिंतन के लिए प्रेरित किया। मैंने कभी भी अपने ऑफिस में भगवान कामतानाथ की तस्वीर लगाने के विषय में नहीं सोचा था, लेकिन जो प्रभु सोच सकते हैं, वह हम नहीं सोच सकते। यह उनकी कृपा थी, उनका संकेत था। यह घटना मुझे मेरे ही कहे शब्दों की याद दिला गई – “अनाथों के नाथ, गरीबों के नाथ कामतानाथ की धरा से मैं सौरभ द्विवेदी आपका स्वागत एवं अभिनंदन करता हूँ।”
यह एक अद्भुत अनुभूति थी। यह सिद्ध करता है कि जीवन में कुछ भी संयोगवश नहीं होता। समय का चक्र बलवान होता है और जब समय उचित होता है, तब ईश्वर स्वयं मार्ग प्रशस्त करते हैं। अनुराग शुक्ला जी का इस घटना में उपस्थित होना केवल एक व्यापारिक संयोग नहीं था, बल्कि यह उनके माध्यम से प्रभु की कृपा का प्रवाह था।
यह अनुभव दर्शाता है कि भगवान की कृपा अप्रत्याशित रूप से होती है और वह हमें हमारी जरूरतों के अनुरूप ही प्राप्त होती है। अनुराग शुक्ला जी का यह योगदान केवल एक उपहार नहीं, बल्कि उनके भीतर छिपे आध्यात्मिक भाव और प्रभु की इच्छा का ही विस्तार था। इसीलिए कहा जाता है – “समय होत बलवान।” हमारी मुलाकात सही समय पर हुई और इस घटना ने मेरे मन को गहन आध्यात्मिकता से भर दिया।
भगवान कामतानाथ की यह तस्वीर केवल एक चित्र नहीं, बल्कि प्रभु की उपस्थिति और उनकी कृपा का प्रतीक बन गई है। यह अनुभव मेरे लिए सदा स्मरणीय रहेगा और यह याद दिलाता रहेगा कि जीवन में हर घटना के पीछे एक गूढ़ रहस्य और ईश्वरीय योजना कार्यरत होती है। और उस दिन, इनफिनिटी टाइल्स के शो रूम और अनुराग शुक्ला जी के माध्यम से, मैं एक दिव्य साक्षात्कार का साक्षी बना।