SHARE

चित्रकूट :  सतयुग की संत परंपरा और कलियुग की प्रशासनिक चेतना का संगम उस समय देखने को मिला जब योगी सरकार में प्रमुख सचिव रहे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी दुर्गाशंकर मिश्रा और चित्रकूट के व्यापारी नेता शिवपूजन गुप्ता की भेंट पवित्र रामघाट पर हुई। यह मुलाकात किसी औपचारिक कार्यक्रम से इतर, सहज भाव से हुई लेकिन इसका धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश गहरा था।

समर्थन आपका सहयोग आपका

Totamukhi Hanuman Ji के दर्शन कर जब दुर्गाशंकर मिश्रा घाट पर लौटे तो शिवपूजन गुप्ता ने उन्हें रुद्राक्ष की माला पहनाकर स्वागत किया और न केवल आध्यात्मिक चर्चा की, बल्कि चित्रकूट की संत परंपरा विशेषकर गोस्वामी तुलसीदास जी के जीवन और दर्शन पर भी गंभीर संवाद किया। इस दौरान संत तुलसीदास की जन्म जयंती से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य भी सामने आए, जिससे घाट पर एक बार फिर तुलसीदास के आदर्शों की पुनर्प्रतीति हुई , मानो रामघाट पर फिर से रामचरितमानस की गूंज सुनाई दी हो।

शिवपूजन गुप्ता ने इस अवसर पर राजापुर के सांस्कृतिक व आध्यात्मिक महत्व को रेखांकित करते हुए उसके समग्र विकास की बात रखी और दुर्गाशंकर मिश्रा को राजापुर आने का आमंत्रण भी दिया।

इस आध्यात्मिक संवाद में मिश्रा जी ने कहा, “चित्रकूट आकर जो शांति और संतत्व का अनुभव हुआ है, वह अलौकिक है। अब जीवन के शेष वर्ष धर्म, समाज और संस्कृति की सेवा को समर्पित रहेंगे। यदि प्रभु की इच्छा रही तो दोबारा दर्शन के लिए अवश्य आऊंगा।”

इस मुलाकात ने यह संदेश दिया कि चित्रकूट केवल तीर्थ नहीं, बल्कि धर्म, विचार और परंपरा का सजीव केंद्र है, जहाँ हर युग के प्रतिनिधि आकर आत्मिक शांति पाते हैं। एक ओर संत तुलसीदास का चिंतन तो दूसरी ओर एक सेवानिवृत्त प्रशासक की साधना यह दृश्य दर्शाता है कि चित्रकूट की आध्यात्मिक परंपरा सतत बहती सरिता की तरह आज भी जन – मन को शुद्ध करती है।

निष्कर्षतः, यह मुलाकात न केवल दो व्यक्तियों की भेंट थी, बल्कि यह संत परंपरा, लोक धर्म और सामाजिक उत्तरदायित्व का वह संवाद था, जिसने रामघाट को एक बार फिर युगधर्मी चेतना का केंद्र बना दिया।

image_printPrint
5.00 avg. rating (98% score) - 1 vote