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Saurabh Dwivedi

पत्रकार को तिरंगे में अलविदा कहें और जीवन के लिए सुरक्षा

आवश्यक। हाल ही में पुनः एक बार बिहार में कुछ पत्रकारों ने अलविदा कह दिया, पहले भी पत्रकार की हत्या सरेआम होती रही। सच तो यह है कि एक पत्रकार दहशत के माहौल में जीने को मजबूर होता है। न्याय और सच की लड़ाई लड़ने वाला न्याय का प्रहरी पत्रकार से पराया व्यवहार क्यों ? सुरक्षा व सम्मान के साथ जीवनयापन हेतु पुख्ता इंतजाम ऐसे हों कि वह कभी मार्ग ना भटक सके।

पत्रकारों की हत्या जैसे जघन्य अपराध नहीं रूक रहे। पत्रकार ग्रामीण स्तर का हो अथवा शहरी नगर और महानगर स्तर का सभी के लिए जोखिम चौबीस घंटे सीमा पर जवान की तरह मडराता रहता है। बहुत से उदाहरण भूतपूर्व हो गए कि पत्रकार को धमकी मिली फिर मार दिए गए।

उत्तर प्रदेश में भी सपा सरकार के समय पत्रकार दहशत के माहौल में रहे और जंग मंत्री से भी हुई। छोटे स्तर पर ग्रामीण पत्रकारों के सामने भी छुटभैये दादू माफिया और सरगना नेता आदि से तू तू मैं मैं के चलते जीवन में असहज स्थिति का जन्म हो जाता है। बल्कि यहाँ त्रासदी अधिक है।

सरकार किसी की भी रही हो पत्रकार को बचा पाने में असफल रही, कलम की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की आजादी के मूल में निहित है, पर सुरक्षा बिन स्वतंत्रता कहाँ ? इनकी सुरक्षा हेतु शासन प्रशासन का मंथन नाकाफी और क्षणिक रहा।
वह जब जब स्वतंत्र होकर लिखना कहना चाहते तब तब बंदूकी की नली या साहब की घुड़की गले पर अटक जाती है। तमाम नेताओं के निशाने पर भी पत्रकार रहते हैं। माफियाओं की पत्रकारों से मूल दुश्मनी है।
पहले वे खरीद लेना चाहते हैं और बिकने पर भून दिए जाते हैं। स्कार्पियो चढ़ा दी जाती है और तो और ट्रक चढ़वाकर मार दिया जाता है। गुस्ताखी सिर्फ इतनी सी करते हैं कि कुरीत, भ्रष्टाचार और अनियमितता पर आजाद लब से बोलते और कलम चलाते हैं।
पिछले दिनों एक्ट्रेस श्रीदेवी की मृत्यु हुई, वे पद्म विभूषण भी थीं। उन्हें तिरंगे पर सलामी दी गई पर एक पत्रकार को जो कभी ना कभी सच और जानकारी के मुताबिक सरहद के अंदर से आवाज बुलंद करता है। आखिर उसे क्यों ना तिरंगे से लिपटा कर अलविदा कहें।
वो गांव से लेकर शहर तक किसी भी स्तर का सामाजिक मान्यता प्राप्त पत्रकार हो तो उसे कम से कम तिरंगे से सम्मान मिलना चाहिए। पहले इसका निर्धारण हो और सुरक्षा मुहैया कराई जाए।
एक पत्रकार को खो देने का मतलब तमाम जिंदगी के न्याय और उम्मीद को खत्म कर देना होता है। इसलिये सुरक्षा के साथ तिरंगे से लिपटकर अलविदा होने का हक बनता है।

इस घटना से उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले की प्रेस क्लब के पत्रकार भी आहत हुए एवं चित्रकूट डीएम से मिलकर पत्रकार हित में राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपे। इस दौरान चित्रकूट प्रेस क्लब के जिलाध्यक्ष सत्यप्रकाश द्विवेदी ने कहा कि भारत के किसी भी कोने में पत्रकार साथी के साथ अभद्रता, अन्याय और दुर्घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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