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एक आवाज मेरे कानों के जरिए
हृदय को स्पर्श करती है
मालूम है मखमल सी वो आवाज
सचमुच गुदगुदी आनंद की बन
मखमल सा स्पंदन पैदा कर
मुझ में होकर खेलती है खूब

और शब्दों का अहसास बन
उतर जाती है कभी खत तो
कभी कविता बन
एक वादा करो मुझसे
ताउम्र मेरे खतों कविताओं की
बार्बी डाल बनकर खूबसूरत सी
प्रेयसी बनी रहोगी सदा…..

सच तुम्हारा अपनत्व
मेरे जीवन का भाग्य है
जैसे तुम भाग्यलक्ष्मी हो
कल्पना मे ही सही
हकीकत बन समा जाओगी
उस दिन उस पल बिजली कड़केगी
गड़गड़ाहट की आवाज होगी
बादल बरसेंगे और हम भीगेंगे
सिक्त होकर प्रेम में चरमसुख का
नवजीवन जिएंगे

अब दिल से पढ़ना…….

कितना जरूरी होता एक खत तुम्हे लिखना ! पूछो मेरे हृदय से जब तुम सोई रहती होगी तब मेरा तुम्हे बेताबी से याद करना या तुम मुझे भूल चुकी होगी तो खत लिखकर याद दिलाना तुम्हे कि सुनो मैं हूँ तुम्हारी जिंदगी में हूँ ………

एक तुम्हे ही खत लिखने की इजाजत है मुझे मेरे भगवान से भी जिन्होंने मुझे पुनर्जन्म दिया है तो वो भी कह देते हैं कि ठीक है तुम उसे लिख सकते हो और कल्पनाओं की आगोश मे अंतहीन आलिंगनबद्ध हो सकते हो , अनंत अहसास तक प्यार से कागज भरना। मेरा मन कहता है वो भी आनंदित होती है अकेले मे इन शब्दों के मादक मखमली अहसास से क्योंकि तब वो भी सिर्फ वो नही रह जाती प्रेम शब्द मादक हो देह मे रेंगने लगते हैं तो फील करती है बढ़ती मादकता को !

मेरा रत्ती भर भी स्वार्थ नही है महज बात सिर्फ इतनी सी है कि तुमसे एक रूहानी रिश्ता है और मैं अपनी रूह के लिए खत लिखता हूँ। तुम उस रूह की एक छवि हो एक देह हो एक आकार हो और एक गहरी आंतरिक इच्छा कि प्रेम शब्दों का खत लिखकर काल्पनिक प्रेम को जीवंत रखूं , वैसे इस आधुनिक भागम-भाग की दुनिया मे प्रेम के लिए फ़ुरसत किसे है ? हमे लक्ष्य चाहिए हमे धन चाहिए तो प्रेम पीछे छूट जाता है।

लेकिन मैं तुम्हारे केन्द्र बिन्दु में रहना चाहता हूँ भले मैं भविष्य मे कुछ भी हो जाऊं पर तुम्हारी परिधि मे मैं और मेरी परछाईं रहे बस तुम अपने आंचल मे समेट लेने भर का मान दोगी और कभी भर लोगी खुद से कि लो मेरा सुख संपूर्ण समर्पण से जैसे हम दोनों अलग आकार होकर भी एक दूसरे के लिए निराकार हो जाएं फिर आनंद की ऊर्जा का उत्सर्जन होने लगे , मैं लिप्त रहूं तुम मे प्रिये।

पर सुनो मेरी कल्पनालोक की प्रेयसी तुम वास्तव मे इस प्रेम को जीवंत बनाए रख सकती हो चूंकि तुम असाधारण हो और रूहानी इश्क महसूस करने से होता है तो तुम महसूस करती हो इस इश्क को इसलिए मैं विश्वास करता हूँ कि तुम्हे लिखे हुए खत नाजायज नही कहलाएंगे।

तुम उनका वारिसनामा तय कर दोगी उन रूठे हुए दिनों की तरह जब तुम इशारों इशारों मे अपनी बात कह देती हो , कोई गाना ही सही लेकिन सचमुच वो दिन याद आते हैं कि कम से कम तुम कुछ बोली तो हो।

जैसे तुमने कहा था कि हां मुझे भी लग रहा था कि मैं अपना कुछ खो रही हूँ। बस तुम्हारी इतनी सी बात और इश्क का वो संगीत कि एक चेहरा जो अपना सा लगता है।

तो मुझे भी कल्पना मे हमेशा तुम मुझ मे इतनी गहराई से महसूस हुई कि देह और आत्मा की खास सुगंध महक कर खो जाता हूँ और बस एक ख्याल आता है कि तुम्हे खत लिखने लायक कविता रचने लायक हमेशा रहूं और तुम पढ़कर अपनी खूबसूरती अकेले मे निहारो तो मुझे पाओ जैसे तुम्हारी देह मे एक काले तिल का अस्तित्व है वैसे ही मेरा अस्तित्व फील कर मुझसे कहो तो मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि अहसास के खत होंगे और तुम इन खत कविताओं की अप्सरा हो और एक नायिका हो।

” मुझ मे रच बस गई है सुगंध तुम्हारी बस फलक पे उतर आओ और प्रेम वाला कत्ल कर दो जीवन भर को मेरा तुम ; किसी जन्म की अगाध आस्था है मेरी तुम पर सचमुच पूर्व जन्म से मैं तुम्हारा कोई हूँ जो इस जन्म मे मिला हूं तुम्हे अब। ”

सम्मोहन ऐसा हो कि मुझे अपने सामने महसूस करो और मैं पढ़ रहा हूँ ये खत और तुम सुन रही हो। खत पढ़कर सुनाना अद्भुत अहसास है चूंकि तब निहार पाता हूँ तुम्हारी आंखो में और समा जाने का अहसास जागता है सचमुच तुम मेरी श्रद्धा हो।

तुम्हारा ‘ सखा ‘

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