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“अरे अल्का जी!
आप फेसबुक वाली अल्का श्रीवास्तव हैं न? मनकही की लेखिका?” 💃

“जी मेरी लिखी कहानियों का संग्रह मनकही है। लेकिन माफ करिएगा, मैंने आपको पहचाना नहीं।”😟

“आप पहचानेंगी कैसे, मैं आपका फाॅलोअर हूँ।” 😔

“ओह..तो आप मुझे फाॅलो करते हैं?”😊

“जी, मैं आपकी हर पोस्ट पढ़ता हूँ। आप बहुत अच्छी बातें लिखती हैं। मैं आपकी हर पोस्ट शेयर भी करता हूँ।”😎

“यानि आपको मेरे विचार पसंद आते हैं और आप उन विचारों को फाॅलो करते हैं?😒
फिर तो आप मेरी पोस्ट लाइक और उसपर काॅमेंट भी करते होंगे?”😊

“हाँ लेकिन मुझे बहुत लिखना नहीं आता। फिर भी कुछ न कुछ काॅमेंट जरूर करता हूँ ताकि आपकी नज़र मुझ पर पड़ जाए।”😃

“ओह!
लेकिन आप मुझे फाॅलो क्यों करते हैं?”😐

“अरे! कहा तो आप अच्छा लिखती हैं। आपकी पोस्ट सार्थक होती है। सकारात्मक संदेश देती है।”😯

“धन्यवाद…
एक बात बताइए, आप मेरी पोस्ट लाइक करते हैं। उसपर काॅमेंट करते हैं। शेयर करते हैं। ताकि मेरे विचार औरों तक पंहुचे। हैं न?☺

“जी बिल्कुल” 😊

“बस इतना ही या और कुछ?”☺

“और कुछ???
और क्या करना? एक फाॅलोअर इससे ज्यादा क्या कर सकता है?😮

“मैं जो लिखती हूँ आपको वो अच्छा लगता है तो क्या आप मेरे “लिखे हुए” को फाॅलो करते हैं? 😑

“मतलब?”😯

“मतलब आप जब भी किसी को पढ़ते हैं तो आप उसके विचारों को पढ़ते हैं, उसके लिखे हुए की सराहना करते हैं।लेकिन, उन विचारों को आप अपने जीवन में उतारें, तब तो किसी का लिखना सार्थक है। वरना पोस्ट पर “वाह बहुत बढ़िया”, “आपकी बात से सहमत हूँ।” लिखने या पोस्ट शेयर करने से कोई फायदा नहीं।” 😕
अगर आप किसी के लिखे की सराहना कर रहे हैं तो उसका लिखना तभी सार्थक होगा जब आप उसकी बातों को, उसमें छिपे संदेश को समझें और उसकी बातों को अपने जीवन में अमल में लाएँ, अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएँ। वरना किसी का लिखना और आपका उसको पढ़ना व्यर्थ है।🙇
चलती हूँ…मुझे उम्मीद है आप मेरी बात समझ गये होंगे?😊

“जी समझ गया.. नमस्ते 🙏🙏
(यार रियल लाइफ में लोग इतने खड़ूस क्यों होते हैं?😞😞)

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