जिला मुख्यालय चित्रकूट का पीडब्ल्यूडी विभाग लंबे समय से चर्चा का विषय बना रहा। यहाँ भ्रष्टाचार का बोलबाला इतना बढ़ा की प्रशासनिक शिष्टाचार भी डांवाडोल हो गया। व्यक्तिगत रूप से सहायक अभियंता अशोक कुमार सिंह कार्यालय में बीड़ी – सिगरेट पीने से लेकर माफियाओं के जमावड़े के लिए प्रसिद्ध हो चुके थे।
इस विभाग के सर्वेसर्वा अधिकारी भी एके सिंह ही माने जाते थे। जिन्होंने चहेते ठेकेदार व माफियाओं को सरकारी धन लुटा कर स्वयं तथा उन्हें भी मालामाल कर लिया। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के आगमन पर बेड़ी पुलिया से रामघाट तक प्रस्तावित सड़क को एक तरफ से सीतापुर तक डेंटिग – पेंटिंग कराकर धन हड़प जाने का बड़ा आरोप लगा है। सूत्रों के मुताबिक लगभग बहत्तर लाख रूपये का पूरा खेल इमर्जेंसी में रातों-रात हुआ।
ऐसे ही तमाम ऐसी सड़कें जिनमें दस लाख के अंदर की लागत होने पर बिना टेंडर के काम कराया गया। यहाँ भी कमीशनखोरी का बोलबाला रहा तथा काम की गुणवत्ता नजरंदाज की गई। कुछ जगहों पर सड़क बनी ही नहीं पर धन आवंटित होने तथा आहरित होने की खबर मिल रही है।
चक भूपत का पुरवा में ऐसी ही एक विवादित सड़क की जांच शुरू हुई तो अनेक मामले लोगों के सामने आने शुरू हुए। न्यायालय के ट्रांजिट हास्टल में भी टेंडर में गड़बड़ी तथा अवैध तरीके से लागत बढ़ाकर धन हड़पने की सुर्खियां तेज हैं।
वहीं अधिशाषी अभियंता व सहायक अभियंता की सांठगांठ की पोल जेई किरण सिंह ने खोलना शुरू किया तो उनके साथ अभद्रता तथा शोषण की खबरें छन कर आने लगीं। महिला जेई मजबूरन न्यायालय की शरण में पहुंची तो एके सिंह पर मुकदमा पंजीकृत कर न्यायिक जांच के आदेश हुए।
साफ है कि यह विभाग शोषण , अत्याचार और भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका था। अंततः आवाज राज्य सरकार तक पहुंची तो बदले में प्रथम दृष्टया एके सिंह को पीडब्ल्यूडी विभाग लखनऊ अटैच कर लिया गया। किन्तु इतने भर से भ्रष्टाचार का अंत नहीं होगा। इनके ऊपर आय से अधिक संपत्ति का अंदेशा भी लगातार लगाया गया है और कुछ शिकायतें भी लंबित हैं।
इनके अधिकार क्षेत्र में जितने भी कार्य हुए हैं। उन सभी की जांच से ही भ्रष्टाचार का जिन्न प्रकट हो सकता है। अब तक की इस जंग में आईटी विभाग भाजपा के जिला सह संयोजक राजीव श्रीवास्तव व विवेक तिवारी सहित तमाम भ्रष्टाचार निरोधक साथियों की भूमिका सराहनीय रही है। जैसे कि भाजपा जिला उपाध्यक्ष चंद्रप्रकाश खरे की आवाज पर सांसद भैरों प्रसाद मिश्र ने भी शासन को अवगत कराया था।
कुलमिलाकर भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुके पीडब्ल्यूडी की सफाई जारी रहनी चाहिए और भ्रष्टतंत्र का समूल नाश कर कार्यों में गुणवत्ता व तेजी लायी जा सके तथा माफिया मुक्त पीडब्ल्यूडी होने से जिले की छवि अच्छी होगी।