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चित्रकूट : एक गाना आप सबने सुना रहा होगा कि पर्दे के पीछे क्या है ? इस गाने मे चुहुल भी बहुत रसीली है और इसको गा कर लोग दूसरी दूनिया मे खो जाते थे , ऐसी ही दूसरी दुनिया बसाने का काम उत्तर प्रदेश के चित्रकूट प्रशासन ने किया है इसलिए ये पर्दे लगवाने पड़े।

पिछले दिनों समीक्षा बैठक मे आए प्रभारी मंत्री नरेन्द्र कश्यप से पवित्र क्षेत्र चित्रकूट मे देशी , अंग्रेजी शराब और बियर की दुकान खोलने का सवाल किया गया था। तो उन्होंने कहा था कि आबकारी विभाग को कहा गया है कि इन दुकान को कहीं और स्थानांतरित कर दें लेकिन सोमवती अमावस्या मे प्रशासन ने पर्दे लगवाकर काम चलाया है।

एक और काम हुआ है कि गुप्त गोदावरी मार्ग मे सड़क किनारे यहाँ शराब की दुकान है के बोर्ड लगे थे उन्हे भी हटवाया गया है , अब मात्र दीवार पर अंकित है और तत्काल प्रभाव से तीन अलग-अलग दुकान पर दुकानें खुल गई हैं।

इतनी सी कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि चित्रकूट जिला प्रशासन को लगा कि यह गलत हुआ है ! अगर शराब दुकानें खोलना सही था तो फिर वहाँ पर्दे लगाने को क्यों कहा गया ? विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली कि सोमवती अमावस्या के दिन प्रशासन ने मौखिक निर्देश से बड़े – बड़े पर्दे लगवाए थे। हफ्ते बीत जाने के बाद भी इन दुकानों के सामने नाममात्र के लिए पर्दे लगे हुए हैं।

अयोध्या के राजा राम से भी बड़ा जीवन दर्शन चित्रकूट के तपस्वी राम कलयुग और लोकतंत्र मे प्रदान करते हैं। तपस्वी राम संतों की रक्षा और आदिवासी , शोषित और वंचित लोगों के उत्थान एवं प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश प्रदान करने चित्रकूट आए थे लेकिन श्रीराम की मर्यादा को तार तार किया जा रहा है।

यूपी और एमपी सरकार द्वारा सती अनुसुया , गुप्त गोदावरी से लेकर कामतानाथ परिक्रमा परिक्षेत्र सहित समस्त धार्मिक आध्यात्मिक मुख्य मार्गों के आसपास का क्षेत्र पवित्र क्षेत्र घोषित है लेकिन जनपद चित्रकूट के आबकारी विभाग ने जाने क्यों यहाँ शराब की दुकान खुलवाने का काम किया है और राम शैय्या के पास भी सरकारी शराब की दुकान खुली हुई है।

जबकि मध्यप्रदेश शासन द्वारा इस क्षेत्र मे ही श्रीराम वन बनाया जा रहा है। सती अनुसुया मोड से थोड़ी दूर पहले सतना मार्ग मे श्रीराम वन बन रहा है तो क्या पीने वालों के लिए बनवा रहे हैं ? कि लोग वहाँ पीकर आएं या देर रात और दिन मे मौके बे मौके श्रीराम वन का दुरूपयोग भी कर सकें तो इस पर मध्यप्रदेश सरकार को कड़ा एतराज जताना चाहिए चूंकि जो सरकार राम नाम की शक्ति से आई हों और चलती हों उन्हें राम के नाम का पतन कलयुग और लोकतंत्र मे नही करना चाहिए।

स्पष्ट है कि जनपद चित्रकूट के प्रशासन को मानसिक शर्म आई होगी तभी यह पर्दे शराब की दुकान के सामने लगाए गए तो श्रीराम की मर्यादा और संविधान द्वारा घोषित पवित्र क्षेत्र के नियम का उल्लंघन नही होना चाहिए। जब से मामला सामने आया है लोगों कि प्रतिक्रिया आने लगी हैं और सबका ऐसा मानना है कि पवित्र क्षेत्र घोषित होने के बावजूद ऐसा नही होना चाहिए।

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