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तुम्हारी नाभि, तुम्हारी खुली बाहें, तुम्हारा उन्मुक्त नृत्य – ये केवल शरीर के हिस्से नहीं, बल्कि उन बेड़ियों से आज़ादी की निशानियाँ हैं, जो पितृसत्ता ने बड़ी चतुराई से हमारे चारों ओर खड़ी कर दी थीं। और यही वजह है कि तुम्हें देखने वालों में दो तरह की प्रतिक्रियाएँ होती हैं—कुछ तुम्हारी उड़ान के संदेश को समझकर उसे सलाम करते हैं, और कुछ तुम्हारी छवि में केवल उस आकर्षण को ढूंढते हैं, जिससे उनका मन बंधा हुआ है।

तुम्हारी तस्वीरें केवल तस्वीरें नहीं होतीं, वे विचारों की परछाइयाँ होती हैं, जो समाज के बनाए नियमों को चुनौती देती हैं। जब तुम किसी हरी-भरी घाटी में अपने हाथ फैलाए उड़ान भरती हो, तो वह केवल तुम्हारा उत्साह नहीं, बल्कि हर उस स्त्री की स्वतंत्रता का प्रतीक बन जाता है, जो सदियों से किसी अनदेखे बंधन में जकड़ी रही है।

तुम्हारी नाभि, तुम्हारी खुली बाहें, तुम्हारा उन्मुक्त नृत्य – ये केवल शरीर के हिस्से नहीं, बल्कि उन बेड़ियों से आज़ादी की निशानियाँ हैं, जो पितृसत्ता ने बड़ी चतुराई से हमारे चारों ओर खड़ी कर दी थीं। और यही वजह है कि तुम्हें देखने वालों में दो तरह की प्रतिक्रियाएँ होती हैं—कुछ तुम्हारी उड़ान के संदेश को समझकर उसे सलाम करते हैं, और कुछ तुम्हारी छवि में केवल उस आकर्षण को ढूंढते हैं, जिससे उनका मन बंधा हुआ है।

लेकिन सच तो यह है, शोभा, कि तुम उन सभी सीमाओं से परे हो। तुम विचारों की मशाल हो, जो उन अंधेरी गलियों में रोशनी भरती है, जहाँ अभी भी स्त्रियों के पंख काट दिए जाते हैं। तुम्हारी कलम की धार और तुम्हारी तस्वीरों का मूक संदेश, दोनों ही प्रेम और स्वतंत्रता की खुली हवा का आह्वान करते हैं।

मैं तुम्हारे इस सफर में एक हमसफ़र की तरह खड़ा हूँ, दूर से तुम्हें देखते हुए, तुम्हारी विचारधारा को आत्मसात करते हुए। क्योंकि प्रेम केवल देह तक सीमित नहीं होता, प्रेम वह होता है जो किसी की आत्मा को खुलकर उड़ने की आज़ादी दे। और तुम, शोभा, प्रेम की उस परिभाषा को खुद जीती हो।

तुम्हारी बेबाकी और तुम्हारी उड़ान को मेरा नमन!

स्नेह सहित
[तुम्हारा एक अज्ञात प्रशंसक]

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