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एक बार फिर राजनीति राम पर आकर टिक गई है। भारत जोड़ो यात्रा मे श्रीराम की बातें होने लगी हैं। अब कांग्रेस को भूल गया कि उसने रामसेतु को काल्पनिक बताने की भूल की थी। राजनीति मे ऐसी भूल जनता को मूर्ख समझकर की जाती हैं।

यदि राम मंदिर के पुजारी महंत पूज्यनीय सत्येन्द्र दास महराज का आशीर्वाद महत्वपूर्ण था तो फिर श्रीराम और राम मंदिर से लंबे समय तक कांग्रेस अछूत की तरह क्यों व्यवहार करती रही।

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कभी राहुल गांधी ने कहा था कि युवा मंदिर लड़कियों को छेड़ने के लिए जाते हैं और अब उसी मंदिर परंपरा के आशीर्वाद को यात्रा की सफलता बता रहे हैं।

यह सनातन हिन्दू समाज की सहिष्णुता है कि जिस मंदिर को बनने से रोकने का प्रयास किया गया। उस मंदिर के पुजारी ने आग्रह पर आशीर्वाद दिया। जैसा कि महंत जी ने कहा कि उनके पास कुछ कांग्रेस के कार्यकर्ता आए और बोलने लगे कि यात्रा मे शामिल हो जाइए , हम आपको आमंत्रित करने आए हैं। लेकिन महंत जी ने कहा कि स्वास्थ्य अच्छा नही रहता इसलिए मैं सिर्फ आशीर्वाद दे सकता हूँ।

संत समाज के आशीर्वाद को भी राजनीति का धारदार हथियार बनाने की कोशिश की जो गलत परंपरा है। राम के नाम पर राजनीति कांग्रेस ने की है जो फिर एक बार शुरू करने की कोशिश कर रही है जबकि मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए श्रीराम मंदिर बनने मे सबसे बड़ा ब्रेक कथित सेक्युलर दल जैसे कांग्रेस ने लगाया। इस क्रम मे सपा जैसी पार्टी भी शामिल है और आम आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल ने भी कभी कहा था कि मेरी नानी ने कहा कि मेरे राम का मंदिर किसी की मस्जिद तोड़कर नही बनेगा तो यह इतिहास और धर्म के साथ खेल कर एक वर्ग का तुष्टीकरण कर रहे थे और हिन्दुओं की धार्मिक आध्यात्मिक भावना का दमन हो रहा था।

राहुल गांधी और कांग्रेस को सीखने की कोशिश करनी चाहिए श्रीराम और श्रीकृष्ण जैसे महान व्यक्तित्व और अवतार से , जो भगवान विष्णु के अवतार थे। और सही मायने मे श्रीराम अयोध्या से पैदल चलकर भारत भ्रमण किए तथा उस दौरान बुराई का अंत किया। ऐसे ही भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म की स्थापना हेतु पाण्डवों का साथ दिया और हमे श्रीमद्भागवत गीता प्रदान की ताकि इस कलयुग मे हम अनुकरण कर सकें और धर्म की स्थापना हेतु प्रयास करते रहें ताकि बुरे लोग और बुराई का अंत होता रहे। लेकिन राहुल गांधी सिर्फ जय सियाराम का नारा देकर दिल लूटने का अधूरा ख्वाब देख रहे हैं जबकि उत्तर प्रदेश से यात्रा होकर गुजर गई लेकिन अयोध्या का कार्यक्रम नही बनाया जो साफ संदेश है कि अब भी मुस्लिम तुष्टीकरण के खौफ मे जीते हैं राहुल गांधी।

जिस संघ के आशीर्वाद की चर्चा खुलेआम कर रहे हैं। उस संघ से गांधी परिवार ने हमेशा नफरत की और दमन करने की कोशिश की जैसे कि आजादी के ठीक बाद कांग्रेस सरकार ने 4 फरवरी 1948 को संघ को इसलिए बैन किया कि वह महात्मा गांधी की हत्या मे शामिल जबकि बाद मे रिपोर्ट आई कि गांधी हत्या मे संघ का हाथ नही है लेकिन इस रिपोर्ट को भी सार्वजनिक नही किया गया , अंततः करीब एक साल मे ही संघ से बैन हटाना पड़ा। तब से लगातार संघ के खिलाफ कांग्रेस डटी रही लेकिन संघ हिन्दू धर्म और राष्ट्र धर्म व जनहित के लिए काम करता रहा। इस तरह की नकारात्मक राजनीति करने वाली कांग्रेस पाताल लोक मे दबती चली जा रही है और सकारात्मक रूप से राष्ट्र की सेवा करने वाला विश्व व्यापी संगठन हो गया संघ।

इसलिए सवाल ही नही है कि राम किसके हैं ? जन जन के राम हैं और संघ , विश्व हिन्दू परिषद और राम भक्तों के प्रयासों का परिणाम है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से मोदी सरकार मे राम मंदिर बनना शुरू हुआ। फर्क साफ है और जनता समझदार है। इसलिए सवाल यह है कि कांग्रेस को संत और संघ के आशीर्वाद की जरूरत क्यों ? जबकि इनसे सदैव परहेज करती रही है। अंततः सत्येन्द्र दास जी महराज को कहना पड़ा कि दो पार्टियाँ हैं उनमे से कांग्रेस राम मंदिर के विरोध मे है और दूसरी भाजपा जिसने राम मंदिर निर्माण का समर्थन किया।

दिव्या त्रिपाठी
( लेखिका भाजपा महिला मोर्चा चित्रकूट की जिलाध्यक्ष भी हैं )

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