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@अशोक जाटव ( जिला पंचायत अध्यक्ष चित्रकूट )

जीवन को शोषण से बचाना ही जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। शोषण रहित जिंदगी ही अपना खुद का जीवन हो सकता है और यही स्वतंत्र जीवन है। समाज मे जो शोषित रहेगा वही वंचित रहेगा , ऐसे ही हालात गुलामी काल मे डा. भीमराव अंबेडकर ने देखे और यह देखकर ही उनके अंदर का पौरूष जाग गया। उन्होंने मन ही मन तय कर लिया एक वर्ग को जागरूक करने का।

जागरूकता की पहली सीढ़ी शिक्षा है। और इसी शिक्षा से देश का एक बड़ा वर्ग वंचित था। जो अशिक्षित रहेगा उसका शोषण सबसे पहले तय हो जाता है। इसलिए बाबा साहब ने स्वयं खूब लगन से शिक्षा ली। दलित समाज मे पहले ऐसे व्यक्ति बने जिन्होंने कानून की पढ़ाई की और सूट – बूट व टाई लगाकर उच्च वर्ग के मध्य अपना एक स्थान बनाया।

इन सबके बावजूद भी बाबा साहब को मंदिर मे प्रवेश करने से रोका गया और अंततः उनका मन बहुत खिन्न हो गया। इसलिए उन्होंने धर्म परिवर्तन करने का निर्णय लिया कि शायद ऐसा करने से हिन्दू धर्म के अगुआ लोगों को समझ आए लेकिन अंततः बाबा साहब ने इस्लाम और इसाई धर्म का तिरस्कार करते हुए बौद्ध धर्म को अपनाया। वह हिन्दू धर्म के हितैषी थे और समरसता के समर्थक थे।

इसाई और इस्लाम के बारे मे बाबा साहब ने कहा था कि यह भारत से बाहर के धर्म हैं और इन धर्मों को अपनाने से राष्ट्र की एक बड़ी आबादी गैरराष्ट्रवादी हो जाएगी। बौद्ध धर्म के विचार और आचरण भारत के मूल मे हैं।

बौद्ध धर्म अपनाकर उन्होंने भारत देश के प्रति जिस निष्ठा का प्रकटीकरण किया वही निष्ठा दलित समाज मे है। देश के निर्माण मे दलित समाज का बड़ा योगदान है। आज लोकतंत्र मे शिक्षा ग्रहण कर राजनीति और शासन – प्रशासन मे दलित समाज की भूमिका तय होने लगी है। किन्तु इस समाज को भी वोट बैंक बस बनने से स्वयं को बचाना होगा चूंकि सबसे पहले कांग्रेस ने इस्तेमाल किया और फिर बसपा प्रमुख मायावती ने इस्तेमाल किया और वोट के बदले उत्थान ना के बराबर हुआ। इसलिए जो सरकार दलित समाज हित के लिए काम करे उस सरकार और दल का समर्थन दलित समाज को समय-समय पर करना चाहिए। यह केन्द्र की मोदी सरकार ही है जिनके कार्यकाल मे बाबा साहब को भारत रत्न दिया गया और दलित समाज का सम्मान अमर कर दिया गया।

भाजपा की केन्द्र की सरकार हो या मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार , केन्द्र की मोदी सरकार बाबा साहब के जन्म स्थान महू का भव्य सौंदर्यीकरण किया और पंचशील का निर्माण भी किया। सिर्फ देश के अंदर ही नही विदेश मे भी बाबा साहब के गौरव का परचम देश के प्रधानमंत्री ने लहराया। भाजपा की मंशा शुरूआत से ही एकदम स्पष्ट रही है कि समाज के अंतिम पंक्ति मे खड़े व्यक्ति का उत्थान करना है और यही बाबा साहब के विचार थे तो इन्हीं विचार के साथ हमारी सरकार काम कर रही है। बाबा साहब की जन्म जयंती पर उनके विचारों को सब तक पहुंचाना परम कर्तव्य है , सचमुच जो शोषित हैं वंचित हैं उनका उत्थान होना भी अब सुनिश्चित है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व इसलिए फैसला लिया कि उनके जन्म जयंती को समरसता दिवस के रूप मे मनाया जाए और पूरे देश – प्रदेश मे गाँव – गाँव भाजपा के कार्यकर्ताओं ने समरसता दिवस मनाया.

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