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By :- Saurabh Dwivedi

आज
ठंडी बयार
चल रही है

तुम्हारे सुख की तरह
महसूस होती हुई
बिल्कुल तुम्हारे अहसास की तरह
खूब सुखमय
तुम्हारे सानिध्य सा

जैसे भावनाओं के
साँसमय स्पर्श सा सुख
तुम्हारा ….

जब तुम्हे महसूस कर
रोम रोम झंकृत हो जाता रहा
एक असीम सुख
महसूस करता रहा

चूंकि महसूस करना
साधनामय हो जाना होता है
जब प्रेम साधना हो जाता है
साधना से शुरू प्रेम ही
वास्तव में प्रेम होता है

हाँ ऐसी ही
ठंडी बयार हो तुम
और तुम्हारा स्पर्श
एक कल्पनातीत
अद्भुत सा प्रेम
जहाँ क्षण भर का सुख
जीवन बन जाता है
जैसे ठंडी बयार का सुख
तुम सा सुख …..

तुम्हारा ” सखा “

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