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51 साल की मलाइका कि देह उनकी स्वतंत्रता की निशानी क्यों ? जानिए महिलाओं की स्वतंत्रता के नजरिए से

मलाइका अरोड़ा जैसी प्रसिद्ध शख्सियतों के व्यक्तिगत जीवन और उनकी तस्वीरों पर समाज द्वारा दिए जाने वाले प्रतिक्रियाओं को समझने के लिए यह ज़रूरी है कि हम इसे सामाजिक, सांस्कृतिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के विभिन्न दृष्टिकोणों से देखें।

महिला की स्वतंत्रता और स्वायत्तता

किसी भी महिला की देह उसकी निजी संपत्ति है। यह अधिकार केवल भारत के संविधान द्वारा गारंटीकृत नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महिला स्वतंत्रता का एक अनिवार्य हिस्सा है। मलाइका अरोड़ा जैसी महिलाएं, जो अपने जीवन के हर पहलू में स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन करती हैं, एक आधुनिक समाज की प्रतिनिधि हैं। उनकी तस्वीरें उनके व्यक्तित्व का विस्तार हैं, न कि उनके चरित्र का मूल्यांकन करने का आधार।

सामाजिक दबाव और पूर्वाग्रह

भारत जैसे पारंपरिक समाज में महिलाओं के पहनावे और उनके व्यक्तिगत चुनावों को अक्सर नैतिकता के चश्मे से देखा जाता है। मलाइका के मामले में, उनकी तस्वीरों को “बोल्ड” कहकर आंका जाना इस बात को दर्शाता है कि महिलाएं आज भी सार्वजनिक दायरे में अपनी इच्छाओं को पूरी स्वतंत्रता से व्यक्त नहीं कर सकतीं। उनके पूर्व खान परिवार से जुड़ाव को लेकर की गई टिप्पणियां इस बात का प्रमाण हैं कि समाज महिलाओं को उनके वर्तमान की बजाय उनके अतीत से परिभाषित करने का प्रयास करता है।

सोशल मीडिया और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति

सोशल मीडिया महिलाओं को अपनी पहचान और विचारों को व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम प्रदान करता है। मलाइका अरोड़ा ने इंस्टाग्राम जैसी साइट पर अपनी तस्वीरें साझा की हैं, जो उनकी व्यक्तिगत पसंद का हिस्सा है। इसे “वायरल” करना या केवल “फेमस होने का प्रयास” कहना उनकी स्वतंत्रता को नकारने जैसा है। उनकी तस्वीरों को केवल उनकी कलात्मकता या उनकी खुद के प्रति आत्मविश्वास के प्रतीक के रूप में देखा जाना चाहिए।

दोहरे मानदंड और समाज की चुनौती

समाज का एक बड़ा हिस्सा पुरुषों के बोल्ड और सार्वजनिक अभिव्यक्तियों को सहजता से स्वीकार करता है, जबकि महिलाओं के साथ ऐसा नहीं है। यह दोहरे मानदंड का एक और उदाहरण है। यदि कोई पुरुष अपने शरीर या व्यक्तिगत अभिव्यक्ति के माध्यम से चर्चित होता है, तो उसकी प्रशंसा की जाती है, जबकि महिलाओं के मामले में उन्हें नैतिकता के आधार पर जज किया जाता है।

एक्सपर्ट्स का निष्कर्ष

मलाइका अरोड़ा का जीवन उनके अपने फैसलों और इच्छाओं से परिभाषित होता है, न कि उनके अतीत, परिवार या समाज के बनाए नैतिक मानदंडों से। समाज को महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके व्यक्तिगत चुनावों का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि यह समानता और आधुनिकता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। महिलाओं को उनके फैसलों और व्यक्तित्व के लिए प्रोत्साहित करना ही एक प्रगतिशील समाज की निशानी है।

[ लेखक पत्रकार सौरभ द्विवेदी ]

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