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जो राम के दर्शन करेगा वो रामराज्य लाएगा। इसके लिए प्रेरित होगा क्योंकि मूर्ति मनमोहक है जिनसे मन स्फूर्त हो जाता है। रामलला की मूर्ति रामराज्य का संदेश देती है इसलिए एक जिम्मेदारी समाज की बनती है कि एक दूसरे को सुख देकर रामराज्य की परिकल्पना को साकार करें।

मां – बेटी को एक साथ ही रामलला के दर्शन हो जाएं तो समझिए कितना अद्भुत संयोग है जिस संयोग के लिए सनातनी हिन्दू समाज के लोग साढ़े पांच सौ वर्षों से प्रतीक्षारत थे।

मुझे बहुत अच्छा लगा। जब बाल रूप रामलला के दर्शन किए तो वाकई मे वे आठ साल के मासूम बालक नजर आ रहे थे। मेरी यात्रा चित्रकूट से अयोध्या की थी और हमारे साथ बस मे शिवरामपुर मंडल चित्रकूट के भाजपा कार्यकर्ता भी थे।

बस द्वारा सुबह ही अयोध्या के लिए निकले और शाम तक अयोध्या पहुंच चुके थे। सड़क मार्ग बहुत अच्छा है। इसलिए बिल्कुल भी दिक्कत नही हुई और रात को ही चित्रकूट के लिए चल दिए तो सुबह घर पहुंच चुके थे।

सब जान पहचान वाले जानना चाहते थे कि कैसे हैं रामलला ? कैसे रहे दर्शन ? मैं भाव विभोर होकर बताने लगी कि विकार मुक्त हैं और ऐसे ही तो भक्तों को होना चाहिए। जिनके दर्शन करने भर से विकार मुक्त हो जाना होता है।

रामलला के दर्शन बाहर से नही अंदर से करने हैं। अंतर्यात्रा धर्म की और अध्यात्म की अंदर चलती है इसलिए आंतरिक दृष्टि से दर्शन करने से आत्मा को परमात्मा से शक्ति मिलती है।

मुझे जन्म देने वाली मां है और मैं अपनी मां के साथ थी। मां मेरे साथ थी और परमात्मा मूर्ति के रूप मे सामने थे। ये सौभाग्य ही रहा कि मां के संग परमात्मा के दर्शन हुए क्योंकि एक जन्मदाता परमात्मा हैं और मां के संग रामलला का पहला दर्शन जीवन दर्शन बन गया।

मेरी मां की इच्छा भी पूरी हुई। जिन्होंने सुनते ही कहा कि चलो दर्शन कर के आते हैं और फिर बस द्वारा अयोध्या की यात्रा यादगार यात्रा हो गई सभी भाजपा कार्यकर्ता साथी भी दर्शन कर गदगद हुए।

जो राम के दर्शन करेगा वो रामराज्य लाएगा। इसके लिए प्रेरित होगा क्योंकि मूर्ति मनमोहक है जिनसे मन स्फूर्त हो जाता है। रामलला की मूर्ति रामराज्य का संदेश देती है इसलिए एक जिम्मेदारी समाज की बनती है कि एक दूसरे को सुख देकर रामराज्य की परिकल्पना को साकार करें।

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