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@Saurabh Dwivedi

परीक्षा और अंक देने की पद्धति मे समय के साथ बदलाव आया है परंतु छात्र – छात्राओं की पढ़ाई – लिखाई का उतना ही महत्व है जो देश और समाज के भविष्य हैं। हाल ही ज्ञान भारती इंटर कॉलेज मे पढ़ने वाली दसवीं की छात्रा आयुषी द्विवेदी ने सर्वाधिक अंक 94.50 अर्जित किए हैं। संक्रमण काल मे ऐसे अंक छात्रों का प्रोत्साहन करते हैं।

सतप्रतिशत अंक से करीब साढ़े पांच प्रतिशत दूर आयुषी से हमने उनकी सफलता और संघर्ष को जानने की कोशिश की। आयुषी द्विवेदी एक छोटे से गांव नोनार की रहने वाली हैं। कर्वी मे माता – पिता के साथ किराए के मकान मे रहती हैं। पिता सुषमा स्वरूप इंटरनेशनल स्कूल मे अपनी सेवा देते रहे हैं। इस माहौल मे रहने वाली आयुषी का कहना है कि पिता के मार्गदर्शन मे अनवरत पढ़ाई पर ध्यान दी। प्रत्येक परीक्षा मे पहले भी अच्छे अंक अर्जित करती रही। यही वजह रही कि दसवीं मे जो उम्मीद नही थी वह परिणाम मिला।

बातों – बातों मे आयुषी ने कहा कि सपने मे भी नही सोचा था जिले मे अव्वल अंक आएंगे। जब ऐसा सुनने को मिला तब अत्यधिक खुशी हुई और भविष्य मे ऐसे ही पढ़ते रहने का मन हुआ। वह अपनी सफलता के साथ सहपाठियों की सफलता के लिए बधाई देती हैं। और अपने गुरूजनों का अपने ही शब्दों मे आभार व्यक्त करती हैं। सच है कि एक सफलता के पीछे अच्छा माहौल , अच्छे अध्यापक और परिश्रम का बड़ा श्रेय होता है।

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मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि अभिभावकों को अनवरत बच्चों को अच्छा माहौल देना चाहिए व हाई मेरिट के लिए दबाव नही बनाना चाहिए। किसी भी सूरत मे आपके बच्चे दबाव ना महसूस करें। एक अच्छी सफलता के बाद पुनः अंको के आधार पर हाई मेरिट के लिए बच्चे दबाव ना महसूस करें तभी वह अचानक से इस तरह के अच्छे परिणाम देते हैं तो सभी को खुशी होती है।

प्रतिस्पर्धा के दौर मे हर बच्चा उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि हाई मेरिट मे स्थान अर्जित करने वाले बच्चे। हर बच्चे की रूचि को पहचानना भी जरूरी होता है। जिससे अलग अलग क्षेत्र मे बच्चे उम्दा प्रदर्शन करते हैं।

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