By :- Saurabh Dwivedi
कितना गजब होता है
जीवन मे प्रेम का मिल जाना
कितना अजीब होता है
जीवन से प्रेम का बिछड़ जाना !
व्यवस्थाओं मे कहीं
खो सा जाता है प्रेम ……
पाप – पुण्य की अवधारणा में
मृत्यु सी हो जाती है
प्रेम की ….
फिर भी प्रेम जीवित रहता है
अंतस मे कहीं ….
वो हमें स्मरण कराता है
हल्के दर्द के साथ
अपना वजूद
वो सुख
जो प्रेम में
पल भर को सही
हमने महसूस किया होता है
जीवन भर का सुख …
सचमुच जीवन में प्रेम
एक बार ही होता है
बार – बार याद आता है
उसका सुख
आंखो में आंसू बनकर
हृदय में दर्द का सुख बनकर
हाँ प्रेम में दर्द भी बड़ा सुखद होता है
नसीब में दर्द हो तो वो दर्द भी
जीवन भर का सुख बन जाता है
किन्तु प्रेम जीवन मे
एक बार होता है
बेशक वो दर्द क्यों ना हो
वो दर्द प्रेम बन जाता है !
बिना दर्द के प्रेम कहाँ
वो दर्द प्रेम है
प्रेम का वजूद ही दर्द है
बस फर्क सिर्फ इतना सा है
सवाल सिर्फ इतना सा है
जीवन में एक बार
प्रेम कब होता है
जब होता है
वही प्रेम होता है
शेष भ्रम होता है !
तुम्हारा ” सखा “
बहुत खूबसूरत
क्या एक और काव्य संकलन की प्रतीक्षा करूँ ?