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एक और बात ध्यान देने योग्य है कि जिनको प्रबंधन का क से कबूतर नही आता वे स्कूल / कालेज के प्रबंधक बने हुए हैं और वहाँ बच्चों का शोषण होता है। जैसे कुछ रिपोर्ट के माध्यम से बताना चाहेंगे कि फीस के लिए स्कूल से बच्चों को अपमानित कर निकाल देना , स्कूल मे प्रबंधन समिति के परिवार का दखल होना जैसे पत्नी आदि स्कूल मे आकर किसी बच्चे पर हाथ उठा दे और ऐसे किस्से पब्लिक प्लेटफार्म पर हैं।

करीब 20 साल पहले साक्षर चित्रकूट डीएम जगन्नाथ सिंह के समय हुआ था। उस समय बड़े बुजुर्ग अनपढ़ हस्ताक्षर करना जानने लगे थे और साक्षरता की दर मे चित्रकूट नंबर वन हो गया था , तब कि हकीकत से चित्रकूट की जनता वाकिफ है और अब एक बार फिर जनपद चित्रकूट को शिक्षा मे सुधार के लिए सम्मान मिला है।

वह दौर आनलाइन का नही था। डिजिटल दौर नही आया था तब बीएसएनएल की सिम भी मुश्किल से मिला करती थी लेकिन अब आनलाइन का जमाना है। डिजिटल टाइम मैनेजमेंट मे सरकारी स्कूल के आंकडे दुरूस्त हुए हैं। जहाँ स्कूल तमाम गतिविधियाँ व्हाट्सएप और गूगल आदि सोशल मीडिया प्लेटफार्म से बड़े अधिकारियों तक पहुंच जाती हैं।

कायाकल्प योजना डिजिटल प्लेटफार्म पर नंबर वन रही ऐसा संकेत डिजिटल डिजिट देते हैं कि आंकड़ो मे बहुतायत स्कूलों की बिल्डिंग चमक दमक रही हैं और स्कूल के अंदर बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हर सुविधा मुहैया है।

गरीब और मध्यमवर्गीय अभिभावकों के मन को सुकून देने वाली खबर है कि उनके बच्चे स्तरीय स्कूल मे पढ़ते हैं चूंकि जिलाधिकारी अभिषेक आनंद इसलिए प्रधानमंत्री अवार्ड से सम्मानित हुए हैं।

किन्तु जिलाधिकारी चित्रकूट से जनता को एक और बड़ी अपेक्षा है कि प्राइवेट स्कूल मे हर तरह का शोषण समाप्त हो और बेलगाम शिक्षा माफियाओं पर लगाम लगे जैसे भू माफियाओं पर शिकंजा कसा था।

एक सर्वे के मुताबिक प्राइवेट स्कूल गुड़ दिखाकर ईंटा मार रहे हैं। वह प्रचार शानदार तरीके से करते हैं लेकिन पढ़ाई – लिखाई के मामले फिसड्डी साबित होते हैं और प्राइवेट कोचिंग को बच्चे मजबूर होते हैं।

प्राइमरी और जूनियर स्तर के बच्चों को ट्यूशन पढ़ना पड़े तो यह हर तरह के स्कूलों का फेलियर है। इसलिए पहली ही नजर मे प्राइवेट संस्थाएं सिर्फ और सिर्फ बहानेबाजी से धन उगाहने और कमाने का जरिया मात्र नजर आती हैं।

एक और बात ध्यान देने योग्य है कि जिनको प्रबंधन का क से कबूतर नही आता वे स्कूल / कालेज के प्रबंधक बने हुए हैं और वहाँ बच्चों का शोषण होता है। जैसे कुछ रिपोर्ट के माध्यम से बताना चाहेंगे कि फीस के लिए स्कूल से बच्चों को अपमानित कर निकाल देना , स्कूल मे प्रबंधन समिति के परिवार का दखल होना जैसे पत्नी आदि स्कूल मे आकर किसी बच्चे पर हाथ उठा दे और ऐसे किस्से पब्लिक प्लेटफार्म पर हैं।

तो इंटर तक प्राइवेट स्कूल मे बच्चों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले इसके लिए डीएम अभिषेक आनंद ने अगर प्रयास कर दिया तो यकीनन भारत के भविष्य मासूम बच्चे इनकी जैसी सिविल सर्विस में होंगे और कुछ शानदार नेतृत्व भी कर सकते हैं चूंकि शिक्षा से देश का मानसिक निर्माण होता है और उत्तर प्रदेश व बुन्देलखण्ड के उज्जवल भविष्य के निर्माण मे अग्रणी भूमिका निभाने वाले अधिकारी रूप मे जाने जाएंगे और संभवतः यही प्रधानमंत्री अवार्ड का सबसे सफलतम प्रयोग होगा।

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