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चित्रकूट डीएम रहते हुए शेषमणि पाण्डेय ने किसानों को प्रशस्ति पत्र देकर दान लेने की कला का प्रयोग किया था और जिलाधिकारी के निवेदन पर लगभग हर किसान दान दे रहा था क्योंकि डीएम शेषमणि पाण्डेय गांव मे दानदाता को सम्मानित करते थे। इसलिए कुछ प्रधानों ने भी भूसा दान किया था क्योंकि गांव का प्रधान भी किसान है।

चित्रकूट / उत्तर प्रदेश : आज भी गोवंश संरक्षण का मुद्दा योगी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है तो वही मुखर विपक्षी नेता अखिलेश यादव सांड बुलेटिन चलाकर सरकार को चिढ़ाते रहते हैं और किसानों को फसल की बर्बादी का अहसास करा योगी सरकार को कटघरे मे खड़ा करते रहते हैं।

किन्तु इस महत्वपूर्ण मुद्दे का हल डीएम शेषमणि पाण्डेय के पास है या था ? जो प्रयोग उन्होंने चित्रकूट मे किया था। पहले तो इस प्रयोग कि निंदा हुई कि गरीब किसान कहाँ से दान दे ? लेकिन किसान ही भूसा दान दे सकता है और सबल किसान भी भूसा दान देते हैं तो गोशाला संचालन मे राहत मिलती है।

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चित्रकूट डीएम रहते हुए शेषमणि पाण्डेय ने किसानों को प्रशस्ति पत्र देकर दान लेने की कला का प्रयोग किया था और जिलाधिकारी के निवेदन पर लगभग हर किसान दान दे रहा था क्योंकि डीएम शेषमणि पाण्डेय गांव मे दानदाता को सम्मानित करते थे। इसलिए कुछ प्रधानों ने भी भूसा दान किया था क्योंकि गांव का प्रधान भी किसान है।

डीएम से सम्मान पाने की खुशी और डीएम के साथ फोटो खिचने की खुशी सबको होती है , यह आकर्षण प्राचीन समय से बना हुआ है। जो किसान डीएम से सम्मानित होता उसकी फोटो देखकर अन्य किसानों मे भी ललक जगती कि भूसा ही तो दान करना है और भूसा दान से गोशाला चलने लगी थी।

अभी गोशालाओं के बजट और पेमेंट की दिक्कतों के तमाम किस्से सामने आते हैं , अनेक प्रधान असंतुष्ट ही नजर आते हैं कि समय पर पेमेंट नही हो रहा और कहीं कहीं तो कटौती की चर्चा भी हो रही होती है जिससे प्रधान वर्ग संतुष्ट नजर नही आता। और गांव का किसान तो आज तक संतुष्ट नही हुआ क्योंकि उसके खेत मे अन्ना गोवंश पहुंच ही जाते हैं।

एक और समस्या ग्रामीण स्तर पर धमक चुकी है वो है बंदरों का खेत को तहस-नहस करना और जंगली गाय द्वारा खेत को बर्बाद कर देना तो किसान के सामने एक और चुनौती सामने खड़ी है।

योगी सरकार को सर्वप्रथम अन्ना गोवंश के लिए पुख्ता फंड की व्यवस्था करना अनिवार्य है जो डायरेक्ट प्रधान के खाते मे जाए फिर प्रधान की पूरी जवाबदेही तय हो या फिर पशु विभाग के हवाले गोशाला कर दी जाए , और अधिकारी शेषमणि पाण्डेय जैसी सोच के हों कि वह हरहाल मे समस्या का अंत करने को सोचेंगे जैसे कि भूसा दान लेकर किसान को सम्मानित करने से सरकार की छवि अच्छी हो रही थी। किसान को ग्राम स्तर पर काम दिख रहा था तो ऐसे अफसरों की पहचान जरूरी है।

अंततः ध्यानाकर्षण की बात है कि लोकसभा चुनाव मे गोवंश के मुद्दे पर भी वोटिंग हुई है और आगामी विधानसभा चुनाव मे इस मुद्दे पर वोट पड़ेगा इसलिए योगी सरकार को गोवंश के लिए सिर्फ आयोग नही अपितु जलशक्ति मंत्रालय की तरह गोवंश मंत्रालय बनाने की आवश्यकता है जिससे भारत का दुग्ध उत्पादन बढ़े और गोवंश का संवर्धन हो सके , साथ ही जन जन का स्वास्थ्य उत्तम होगा।

” लेखक / पत्रकार सौरभ द्विवेदी की कलम से “

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