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” एक बिटिया है कह रही थी महाराज जी हम बहुत गरीबी मे पढ़े हैं और अब नौकरी लग गई है तो मन कह रहा है कि बच्चों की पढ़ाई के लिए आश्रम मे कम्प्युटर दान कर दूं। ”
बिटिया यह भी कहती है कि महाराज जी यह गुप्त दान है। गुप्त दान करने के उस बिटिया का एक मुख्य कारण था जिसे बिना इजाजत के हम नही लिख सकते लेकिन सिर्फ इतना ही वो नही चाहती थी कि एक पक्ष को पता चले।

आचार्य आश्रम चित्रकूट : मैं और प्रिया मसाले के डायरेक्टर बृजेश त्रिपाठी अचानक से आचार्य आश्रम पहुंचे तो वहां एक कम्प्युटर आया हुआ था।

हम स्वामी जी डा. बदरी प्रपन्नाचार्य जी महाराज के दर्शन के लिए गए थे। उनसे मुझे यानी कि सौरभ द्विवेदी को सकारात्मक ऊर्जा का लाभ विगत एक डेढ वर्ष से मिल रहा है तो जब भी महाराज जी यहां होते हैं खिंचा चला जाता हूँ।

संकल्प ईश्वरीय प्रेरणा से सहयोग आपका

हमारे सामने कम्प्युटर खोला गया। पहली बार हमने एक कम्प्युटर को पूजा के लिए रखे जाना देख रहे थे। यह देखकर मैं और प्रिया मसाले के डायरेक्टर बृजेश त्रिपाठी हैरान हो रहे थे।

महाराज जी के सामने तो मुखमंडल पर मुस्कान बनी रहती है। हम मन ही मन प्रसन्न थे। महाराज जी आपसी वार्ता मे कहने लगे एक भक्त है मन मे भाव आ गया है तो दान कर दिया है।

कुछ देर अन्य व्यस्तता के बाद बोले कि ये कम्प्युटर बच्चों की पढ़ाई के लिए आया है। आचार्य आश्रम मे इन दिनों नया संस्कृत विद्यालय भी बन रहा है। जहां आधुनिक संसाधन के साथ संस्कृत की पढ़ाई होगी।

जब कम्प्युटर टेबल पर रख दिया गया। कनेक्शन कर आन कर दिया गया। उतने मे आश्रम के बच्चे आते हैं जो महाराज जी को शाष्टांग प्रणाम करते हैं। अत्यंत शांत स्वभाव और समर्पण भाव से बच्चे इस संस्कार का पालन करते दिखते हैं।

वैदिक मंत्रोच्चारण से कम्प्युटर की पूजा होती है फिर महाराज जी जो बात कहते हैं वह कितनी अनुकरणीय है सुनिए ” एक बिटिया है कह रही थी महाराज जी हम बहुत गरीबी मे पढ़े हैं और अब नौकरी लग गई है तो मन कह रहा है कि बच्चों की पढ़ाई के लिए आश्रम मे कम्प्युटर दान कर दूं। “

वो बिटिया यह भी कहती है कि महाराज जी यह गुप्त दान है। गुप्त दान करने के उस बिटिया का एक मुख्य कारण था जिसे बिना इजाजत के हम नही लिख सकते लेकिन सिर्फ इतना ही वो नही चाहती थी कि एक पक्ष को पता चले।

इस किस्से मे भाव सर्वोत्कृष्ट है कि बच्चे पढ़ेंगे आगे बढ़ेंगे और इस तरह के गुप्त दान से संसार का सृजन हो रहा है। अच्छाई अपने गुप्त रूप मे फैलकर बुराई के अंधकार को समाप्त करती है सोचिए वो बिटिया मानसिक रूप से कितनी अच्छी होगी और भौतिक जीवन से सर्वोत्तम है आध्यात्मिक जीवन जो हमे संत समाज से जीने के लिए मिलता है।

इसलिए देश समाज मे सुख और शांति के लिए दान जरूर करिए। दान देने से धन बढ़ता है और समाज मे सकारात्मक काम होने से परिवार का माहौल अच्छा रहता है। हम जीवन के वास्तविक आनंद को ऐसे ही पा सकते हैं जो जीवन का मुख्य उद्देश्य है।

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