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@Saurabh Dwivedi

लाकडाउन के समय अनलाक चर्चा मे अगर कोई रहा तो वह मऊ – मानिकपुर विधायक आनंद शुक्ला हैं। उन्होंने सेवा की ऐसी तस्वीरें प्रस्तुत कीं कि तस्वीर एक मुद्दा बन गया परंतु एक ऐसी तस्वीर भी सामने आई जो विधायक के साथ परछाईं की तरह चलती रही परंतु ना चर्चा स्वयं विधायक ने की अथवा किसी और ने की ! बहुत से लोगों को विधायक की इस खास तस्वीर के बारे मे पता ही नहीं पर खुलासा सोशल मीडिया पर हो चुका है।

यह खुलासा मनोज तिवारी की एक फेसबुक पोस्ट मे विधायक आनंद शुक्ला की टिप्पणी की वजह से हुआ। अन्यथा हम भी अनजान थे। भाजपा के मनोज तिवारी ने सहयोग कार्यकर्ता रामाभिलाष द्विवेदी के संबंध मे एक पोस्ट लिखी , जिसमे उन्होंने उनकी बीमारी का जिक्र किया। वह काफी कमजोर हो चुके थे। बीमारी से निजात मिलना मुश्किल नजर आता है।

इस पोस्ट पर विधायक आनंद शुक्ला उनके स्वस्थ होने की कामना करती हुई टिप्पणी करते हैं। तो विधायक की सेवामय तस्वीरें मेरे हृदय पर विचरने लगीं। अतः उनके अच्छे कार्यों के प्रोत्साहन वाली टिप्पणी के ठीक नीचे मनोज कुमार तिवारी ने जो टिप्पणी की वह हृदय को भिगो गई !

उन्होंने बताया कि लाकडाउन के समय बूथ के कार्यकर्ता रामाभिलाष द्विवेदी की तबियत अत्यंत चिंताजनक थी। यह टोटल लाकडाउन का टाइम था , जहाँ मक्खियां तो पर मार सकती थीं परंतु आम आदमी पैर बामुश्किल ही उठा सकता कहीं बाहर जाने के लिए अब ऐसे मे लखनऊ से उनकी दवाएं कैसे आतीं ?

यहीं पर एक घटना घटित होती है जो एक श्रेष्ठ – गंभीर और समर्पित नेतृत्व की वाहक नजर आती है। आगे टिप्पणी पढ़ते हुए साफ पता चला कि उस वक्त विधायक आनंद शुक्ला ने एक साथी कार्यकर्ता को लखनऊ से दवा लाकर उपलब्ध कराई थी।

यह तस्वीर कहीं भी प्रसारित नहीं हुई। इस तस्वीर के बारे मे किसी से बताया नहीं गया।  एक समय तस्वीर विवाद का मुद्दा हो चुकी थी। समाजसेवा की – अच्छे नेतृत्व की उभरती तस्वीरों से चार लोगों को हृदयाघात सा हो रहा था या फिर ऐसा नेतृत्व ना कर पाने वाले लोग इन तस्वीरों को दिखावा साबित करने पर तुले हुए थे। लेकिन उन्होंने सेवा जारी रखी और प्रेरणा हेतु अच्छी तस्वीरें भी जारी की , और इसका एक मनोवैज्ञानिक पहलू है कि अंततः अच्छी तस्वीरें ही आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा होती हैं। जिससे भविष्य मे कोई समझ सकेगा कि एक नेतृत्वकर्ता को – एक विधायक को संकट के समय ऐसे काम भी करने पड़ते हैं।

उनके इस गुप्त किस्से को साझा करने का मन इसलिए हुआ कि जन – जन उनके हृदय मे छिपे हुए संवेदनशील आनंद को भी महसूस कर सके। जो चुपचाप भी बड़ी मदद करते हैं और अपने सहयोगी – साथियों के साथ समर्पित होकर खड़े रहते हैं।

जब हमें पता चला कि लाकडाउन के समय उन्होंने अपने कार्यकर्ता को दवा लाकर दी तो अहसास हुआ कि कार्यकर्ता और नेता के बीच का यह आत्मीय रिश्ता सभी अवश्य महसूस करें ताकि भविष्य मे नेतृत्व का अच्छा पाठ पढ़ा जा सके और पढ़ाया जा सके। विधायक का यह अनुसुना किस्सा हमेशा सुना जाने योग्य है , सेवा की यह कहानी एक नेता ऐसा भी है नाम से खूब सुनाई जा सकती है।

स्वयं आनंद शुक्ला को मात्र चित्रकूट की परिधि तक सीमित रखना उचित तो नहीं लगेगा चूंकि कार्य क्षमता व शैली इन्हें इससे भी बड़े स्तर तक स्वयं प्रस्तुत करते हैं परंतु यह सत्य प्रतीत होने लगा है कि एक युवा नेता के रूप में चित्रकूट की एक खोज अपनी परिणति मे है , जैसे कि उन्होंने संकट के समय स्वयं को साबित किया है। उनके कार्यों ने लोगों को प्रभावित किया है।

यही उनका अनसुना किस्सा है जो इत्तेफाक से हमे सुनने के लिए मिला तो ऐसा लगा कि  खामोशी से समर्पित विधायक का अनसुना किस्सा सभी को सुनने के लिए अवश्य मिले और नेतृत्व मे ऐसा सेवाभावी समाहित होना चाहिए , वास्तव मे यही नेतृत्वकर्ता का तत्व गुण है।
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