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By :- Sanjay kotiyal

बहुधा कहा जाता है कि मानव जीवन क्षण भंगुर है । कोई कीमत नहीं, कोई वेल्यू नहीं । कब कौन टपक जाए, कोई हिसाब नहीं ।

ऊपरी तौर पर देखने से बात सही लगती है । एकाध वीडियो भी गजब के हैं, इतने बड़े ब्रम्हांड में हमारी कीमत ही क्या है । मृत्यु सत्य है । जिसका जीवन लंबा, उसे सुखी जीवन वाला माना जाता है, अल्पायु वाले पर दुख जताते मनाते हैं । यही संसार में देखा जाता है ।

जबकि ऐसा होता नहीं है । विशेषकर ज्ञान दृष्टि वालों के रास्ते की ये बात कभी नहीं रहती । बल्कि उल्टा देखा गया है । देखने वाली बात होती है ।

यहां ध्यान रखा जाए कि ये पोस्ट पढ़ने के बाद भी रहेगा वही, मानव जीवन क्षण भंगुर है । उसकी कीमत नहीं । क्योंकि सभी प्राणी साधारण ही हैं और साधारण बातों से ही काम चलता है । मृत्यु झेलना वैचारिक मामला नहीं रह जाता, बल्कि एक बड़ी संवेदना और बदलाव का कारण बन जाता है । ये गुत्थी नहीं सुलझेगी ।

भारत का अर्थ ही – भा रत – ज्ञान में रत, होता है । भारतीय दर्शन अवधारणा की कोई भी विधा ले लीजिए, मृत्यु नहीं मिलेगी, जीवन जीने का तरीका मात्र मिलेगा । मृत्यु कोई गोल्ड मैडल प्राप्त करने की अवस्था नहीं है, जीवन अवश्य होता है जिसकी वेल्यू है ।

प्रत्येक प्राणी की वैल्यू है । विशेषकर आगम विधा में तो इसका पूरा आभास स्वतः मिल जाता है, वैदिक उपांग ज्योतिष विद्या के अनुसार भी प्रत्येक प्राणी की अपनी अपनी उपयोगिता है । अंतर केवल इतना रहता है कि ज्ञानदृष्टि सबको लभ्य नहीं होती, या काम की नहीं लगने पर ध्यान नहीं दिया जाता तो ऊपर वर्णित वातावरण ही रहता है । दुखी व्यक्ति के लिए ज्ञान का उतना उपयोग भी नहीं रहता । समझाने कोई जाए तो दुख और बढ़ जाता है । साधारण साधारण को समझाए, इस केस में । और कहीं जूतमपैजार ही न् हो जाये ।

अस्तु, विषय वही है, ज्ञान दृष्टि से प्रत्येक प्राणी की अपनी उपयोगिता है । जीवन की उपयोगिता है । उसका होना ही कई कई बातों का वर्तमान और भविष्य का निर्माण करता है या प्रभावित करता है । एक भिखारी तक का । तो ऐसा नहीं समझा जाना चाहिए कि उपयोगिता नहीं है ।

ज्योतिष का हिसाब सबसे क्लियर स्पष्ट है । हरेक अपने अपने कोऑर्डिनेशन पॉइंट पर समय और स्थान के अनुसार जन्म लेता है । संसार में जीवन में अनेकानेक अन्य प्रणीयों से उसका संपर्क अवश्यम्भावी होता है । चाहे या ना चाहे । इसी की आकार और इमोशन की जिसे लग्न और चंद्र कुंडली भी कहा जाता है, अनेकानेक प्रकार की घटनाएं घटित होती रहती हैं ।

किसी को विश्वास हो न् हो, पर ग्रह अपनी चाल से चलते रहते हैं । किसी के विश्वास अविश्वास के कारण चलना बंद नहीं कर देते । प्रभाव पूरा डालते हैं ।

इसको जान कर यदि ज्ञानदृष्टि से उसकी उपयोगिता समझ ली जाए तो बहुत कल्याण स्वयं का और सामने वाले का हो सकता है ।

हरेक की उपयोगिता है । जीवन के क्षणभंगुर माने जाने पर भी उसके सम्पूर्ण रस का पान कर पाना ही जीवन की श्रेष्ठता है ।

( संजय कोटियाल की फेसबुक वाल से साभार )

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