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उत्तर प्रदेश / चित्रकूट : हर माता-पिता की चाहत होती है कि उनके बच्चे बेहतरीन शिक्षा प्राप्त करें और समाज में सम्मानजनक स्थान हासिल करें। लेकिन जब एक साधारण लिपिक, जिसकी तनख्वाह महज 45 हजार रुपये प्रतिमाह है, अपने बच्चों को उत्तर प्रदेश के सबसे महंगे स्कूल, लॉ मार्टिनियर कॉलेज, में पढ़ाता है, तो यह सवाल उठता है कि क्या यह सिर्फ बचत का चमत्कार है या फिर भ्रष्टाचार की गहरी साजिश? हाँ जनपद चित्रकूट के शिक्षा विभाग के एक लिपिक का ऐसा ही मामला प्रकाश मे आया है।
लॉ मार्टिनियर : अमीरों का स्कूल
लॉ मार्टिनियर कॉलेज लखनऊ का सबसे प्रतिष्ठित और महंगा स्कूल माना जाता है। यहां की नर्सरी कक्षा की फीस ही 2 लाख रुपये से शुरू होती है। यह वही स्कूल है जहां से एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बच्चे और कई फिल्मी सितारों के बच्चे पढ़े हैं। इतना ही नहीं, इस स्कूल में कई मशहूर फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। ऐसे में, एक साधारण लिपिक का अपने बच्चे को यहां पढ़ाने का खर्च उठाना सवाल खड़े करता है।
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क्या यह आय से अधिक संपत्ति का मामला है ?
यदि एक सरकारी कर्मचारी की मासिक सैलरी 45 हजार रुपये है, तो सालाना आय लगभग 5.4 लाख रुपये होगी। जबकि लॉ मार्टिनियर की फीस ही लाखों में है, इसके अलावा किताबें, यूनिफॉर्म, ट्रांसपोर्ट, एक्स्ट्रा-करीकुलर एक्टिविटीज़ का खर्च भी जुड़ता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या लिपिक की आय इतनी अधिक है कि वह इस खर्च को वहन कर सके? या फिर इसके पीछे अवैध कमाई, रिश्वत या अन्य किसी तरह की काली कमाई छिपी हुई है?
क्या कहते हैं नियम ?
सरकारी कर्मचारियों के लिए आय से अधिक संपत्ति रखना भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। यदि यह साबित हो जाए कि लिपिक की आय के मुकाबले उसका खर्च असामान्य रूप से अधिक है, तो उसके खिलाफ जांच बैठाई जा सकती है।
क्या होना चाहिए आगे ?
इस मामले की निष्पक्ष जांच जरूरी है। अगर यह सच में भ्रष्टाचार का मामला है, तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन अगर लिपिक ने यह सब किसी अन्य वैध स्रोत से किया है, तो उसे अपनी आय और खर्च का उचित ब्यौरा देना चाहिए ताकि संदेह दूर हो सके।
एक्सपर्ट थिंक
एक सरकारी लिपिक का अपने बच्चे को इतने महंगे स्कूल में पढ़ाना संदेह के दायरे में आता है। यह भ्रष्टाचार का संकेत भी हो सकता है या फिर कोई अन्य स्रोत से हुई कमाई का मामला। इस पर निष्पक्ष जांच जरूरी है ताकि सच सबके सामने आ सके और सरकारी धन की लूट पर रोक लगाई जा सके।
( सूत्रों पर आधारित लेखक पत्रकार सौरभ द्विवेदी की कलम से )