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By – Saurabh Dwivedi

एक समय थाना पहाड़ी ” आदर्श थाना ” के नाम से प्रख्यात हो गया था। किन्तु 12 जनवरी से पूर्व पहाड़ी थाना परिसर में वो लोग दिखते थे। जिन पर मुकदमा पंजीकृत था। ऐसे लोग परिसर के अंदर आराम से आते-जाते थे , जो जुर्म की दुनिया के छुटभैये स्वघोषित बादशाह थे। ये लोग छोटे – मोटे जुर्म को आसानी से अंजाम देते थे। ऐसे ही लोग परिसर के अंदर आराम तलबी फरमाते नजर आते थे।

शाम ढली नहीं कि बालू चोरों की सक्रियता बढ़ जाती थी। जब लोग सो जाते तब दर्जनों ट्रैक्टर बालू आर – पार हो जाती थी। नंबर दो की बालू का खेल आईस – पाईस के खेल की तरह अंजाम देते थे। इन्हें कानून का सह प्राप्त हो गया था।

चोरी की घटनाएं इस कदर बढ़ चुकी थीं कि कस्बा पहाड़ी से ही एक बोलैरो चोरी हो चुकी थी। मेरी स्वयं की पैसन प्रो जिसका नंबर यूपी 96 – D – 0344 था। वो भी चोरों के शिकंजे पर चढ़ चुकी थी। इन चोरों को पकड़ने में पूर्व थाना प्रभारी नाकाम थे या फिर पकड़ने का प्रयास ही नहीं हुआ था। ऐसे ही साईकिल चोरी से लेकर हर तरह की अपराध की दुनिया में रंगीली रात का पहर शुरू हो चुका था।

चूंकि अब नवागन्तुक थाना प्रभारी दीनदयाल सिंह को यहाँ की जिम्मेदारी मिली है। इस बदलाव के साथ थाना क्षेत्र में व्यापक बदलाव की आवश्यकता जनता व व्यापारी महसूस कर रहे हैं। चोर – बदमाशों पर शिकंजा कस जाए और अपराध पर अंकुश लगे तो अवश्य आदर्श थाना का गौरव पुनः हासिल हो सकता है। यह गौरव थाना प्रभारी की इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है। उन्हें अवसर मिला है स्वयं को साबित करने का तो थाना पहाड़ी का गौरव वापस दिलाने का भी।

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