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By – Saurabh Dwivedi

विचारों व भारतीय राजनीति के अजात शत्रु अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में काव्याञ्जलि की शुरूआत होने के साथ अबकी बार कुमार विश्वास का बांदा में पदार्पण स्मृति पटल में अपनी छाप छोड़ गया।

सिर्फ इतना ही नहीं कार्यक्रम की वजह से यहाँ की साहित्यिक पहचान व धरोहर पर भी प्रकाश पड़ा। जिस बांदा – चित्रकूट की पहचान डकैत ल दबंगई की वजह से होती थी। उसकी पहचान कवि केदारनाथ बाबू के रूप में हुई। बुंदेलखण्ड के साहित्य को जीवंत करना असाधारण प्रयास है।

नेशनल मीडिया क्लब के संस्थापक रमेश अवस्थी व सुपुत्र ( प्रदेश कार्य समिति सदस्य युवा मोर्चा ) सचिन अवस्थी का यह प्रयास जन जन में सराहा जा रहा है। काव्याञ्जलि कार्यक्रम से साफ झलकता है कि कविता व साहित्य के प्रति लोगों के मन एक धूल जो पड़ चुकी थी। वह साफ हो चुकी है।

लगभग पचास से साठ हजार की संख्या में लोगों का पहुंचना और एक विशाल मैदान खचाखच भर जाना सचमुच बेहद आकर्षण का केन्द्र बना। यूं तो राजनीतिक रैली आदि में छोटे नेता बड़े नेताओं हेतु भीड़ का इंतजाम करते रहते हैं। यदि बिना किसी बेजा प्रयास के जनता प्रांगण तक पहुंचती है तो यह अपने में लोगों के मन में बड़े बदलाव का संकेत है।

साहित्य से जुड़ाव व्यक्ति का नजरिया बदल देता है। जिस प्रकार से घोड़े को दौड़ाना आवश्यक होता है। वैसे ही इंसान को पढ़ना आवश्यक होता है। घोड़ा जितना फेरा जाता है उतना तेज दौड़ता है। आदमी भी जितना पढ़ता है उतना तेज दिमाग चलता है। बांदा – चित्रकूट में साहित्य का यह आयोजन सदा सदा के लिए लोगों की स्मृति में ताजा हो गया।

सम्पूर्ण कार्यक्रम के दौरान कविता के कुमार वाणी के विश्वास डा कुमार विश्वास , सबीना अदीब , सुदीप भोला एवं राजीव राज ने अपनी मनमोहक , करूण और भविष्य को उजागर करती व जागरूक करती रचनाओं से हृदय को अभिसिंचित कर दिया। इस दौरान केन्द्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने उद्बोधन के माध्यम से अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए , लोगों को विचार आत्मसात करने हेतु प्रेरित किया। सांसद भैरों प्रसाद मिश्र सहित बांदा सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी आदि नेता व साहित्य प्रेमी तथा साहित्यकार उपस्थित रहे।

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