SHARE
तमाम खामोशी के बाद रामबाबू गुप्ता के काम की रूनझुन रूनझुन धुन मे फिर बात होने लगी है। नगर के अंदर उनकी समाजसेवा और दल के प्रति समर्पण के भाव का लाभ ले सकते हैं।

ओबीसी मे आरक्षित हुई नगरपालिका कर्वी चित्रकूट मे रामबाबू गुप्ता सबसे बड़े दावेदार बनकर उभरे थे। उस समय अखबार का पन्ना हो या सोशल मीडिया का हर प्लेटफार्म सब जगह पढ़ने – सुनने को मिल रहा था कि रामबाबू गुप्ता को भाजपा अपना प्रत्याशी बना सकती है।

किन्तु आरक्षण पर ऐसी जंग छिड़ी कि मामला न्यायालय तक पहुंच गया। अंततः आरक्षण पर व्यापक बदलाव हुए तो जनपद चित्रकूट की एक मात्र नगरपालिका कर्वी अनारक्षित सीट घोषित हो गई , जिसके बाद एक बार फिर समीकरण बदल गए तो कुछ नए प्रत्याशी भी तैयार हो गए।

पुराने वाले भी दावा ठोक रहे हैं। लेकिन देखना यह होगा कि सबका साथ सबका विकास करने का दावा करने वाले पर यह नारा उनके नाम पर मुहर लगाता है कि नही !

लेकिन तमाम खामोशी के बाद रामबाबू गुप्ता के काम की रूनझुन रूनझुन धुन मे फिर बात होने लगी है। नगर के अंदर उनकी समाजसेवा और दल के प्रति समर्पण के भाव का लाभ ले सकते हैं।

कन्याओं का कन्यादान गाढ़ी कमाई से करने वाले रामबाबू गुप्ता की चर्चा इसलिए भी उस समय तीव्र थी कि ऐसे चेहरे पर भाजपा दांव लगाएगी तो पार्टी और प्रत्याशी दोनों का लाभ मिलने की पूरी संभावना रहेगी।

राजनीति के गुप्तचर इन दिनों कह रहे हैं कि जीत उसी प्रत्याशी को मिलेगी जो बेदाग हो , जिसकी सकारात्मक छवि जन मे हो और दल मे हो और चुनाव मे नुकसान उन्हे ही होगा जिनकी छवि नकारात्मक व दागदार है।

वैसे भी जनता स्थानीय चुनाव मे व्यक्ति और व्यवहार को देखते हुए वोट करती आई है। यहाँ दल सेकेंडरी रहा है लेकिन बदलते समय मे दल का भी महत्व बढ़ा है। इसलिए दल भी यही चाहते हैं कि स्थानीय चुनाव मे प्रत्याशी असरदार होना चाहिए जिसे अध्यक्ष बनाने को जनता मन बना ले और जनता निःस्वार्थ सेवा करने वाले व्यक्ति को मतदान करने मे नही चूकती है।

फिलहाल सपा – भाजपा की सीधी जंग मे झाडू भी जुगत लगा रहा है। हाँ आम आदमी पार्टी भी कोशिश मे है कि उसे अच्छा प्रत्याशी मिल जाए लेकिन जंग तो सपा और भाजपा मे तय है बस प्रत्याशियों की घोषणा के साथ तस्वीर स्पष्ट होगी। 

image_printPrint
5.00 avg. rating (98% score) - 1 vote