By : Saurabh Dwivedi
प्रभु ग्वाल – बाल की उम्र से गाय प्रेमी थे। प्रभु की लीला मे जंगल मे मंगल का अद्भुत दर्शन मिलता है। जब मनमोहक बाल ” कृष्ण ” ग्वाल सखाओं के साथ गाय चराने चले जाते और तरह-तरह की लीला करते थे। अभी जब कोरोना संक्रमण के चलते इंसान लाकडाऊन हो चुका है , उसकी प्रगति की रफ्तार थम चुकी है और कुछ अहम भी चूर हो आया है। वैसे मे प्रभु की इच्छा से ही सेवा होती है। आत्मा और परमात्मा का मिलन ही परम योग है। लाकडाऊन मे बांके बिहारी ने कैसे कर ली गो सेवा , ये अद्भुत रहस्य है।
आपको आत्मा पर विश्वास है। जिंदगी की श्वांस तब तक चल रही है जब तक आत्मा की लौ प्रज्वलित है। अन्यथा श्वांस टूटते ही जीवन समाप्त। आज जब मंदिर – मस्जिद , चर्च और गुरूद्वारा सभी धार्मिक स्थल बंद हैं तब ” आत्मा मे परमात्मा ” का भाव मन – मस्तिष्क मे जीवंत हो उठता है।
अब जो भक्त हैं। जो पुजारी हैं , वह भी बांके बिहारी के और बांके बिहारी के ” श्री चरणों ” में स्वयं को समर्पित किए हों। भला वो सेवा के लिए निकलेंगे और परमात्मा की इच्छा ना हो ? ऐसा कैसे हो सकता है !
प्रभु श्रीकृष्ण को लगा कि इस युग में अवतार नहीं ले सकता तब अवतारी प्रभु माध्यम चुन लेते हैं और इस बार उन्होंने अपने खास भक्त – शिष्य और मंदिर के पुजारी भारतेंदु दुबे को चुन लिया।
एक बात मैंने भी हमेशा महसूस की ” कि जब – जब इनकों बांके बिहारी के दर पर बैठे देखा चेहरे का तेज ही बड़ा ओजस्वी नजर आया “। स्वयं बड़े मोहक हो जाते हैं। यह बांके बिहारी की कृपा से ही संभव है।
मायावी संसार मे मनुष्य अनेक विकृतियों से ग्रसित है तब अगर किसी मे सेवा भाव आ जाए तो यह परमात्मा की बड़ी कृपा है। समय और परमात्मा स्वयं व्यक्ति को चुन लेते हैं , आप सिर्फ और सिर्फ अच्छे ध्येय से कर्म करिए और अपने समय की प्रतीक्षा कीजिए।
बांके बिहारी की इच्छा से उनके पुजारी वानर सेवा की सेवा करने निकल पड़ते हैं। वे गाय की सेवा बड़े प्रेम से करते हैं। जब हम सेवा वास्तव मे प्रभु इच्छा से करते हैं तब तस्वीर भी सात्विक हो जाती हैं। मन – मस्तिष्क सेवा भाव से भर जाता है। देह दिव्य ऊर्जा से भर जाती है। इसलिये हमारे अंदर से सात्विक ऊर्जा प्रवाहित होती है।
मनुष्य को वायरस संक्रमण से निजात अवश्य मिलेगी परंतु इतने समय में चेतना स्रोत जागृत होगा और अपनी भूल – चूक का अहसास हो फिर मदद और सेवा भाव से जीवन को सात्विक व सुखमय बनाने के लिए हम सब ग्वाल – बाल की तरह साथ होंगे। यह वक्त मदद और सेवा प्रदान करने का है। जिंदगियों को ताकत प्रदान करने का है , वह पशु हो या मनुष्य हो।
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वाह! अद्भुत दर्शन लिखा