
बांदा | जिला पंचायत बांदा में हालिया घटनाक्रम, जिसमें सदस्यों ने विकास कार्यों में भागीदारी और साझेदारी की मांग की है, लोकतांत्रिक प्रणाली और संसदीय ढांचे में न्यायपूर्ण भागीदारी के महत्व को उजागर करता है। सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी और जिला पंचायत अध्यक्ष के बीच हुई तनातनी और इसके वायरल हुए वीडियो ने इस मुद्दे को और अधिक चर्चा में ला दिया है।
संबंधित समस्याएं और विवाद का मूल कारण
जिला पंचायत के सदस्य आमतौर पर विकास कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं, लेकिन उनकी भूमिका में पारदर्शिता और साझेदारी का अभाव स्पष्ट रूप से महसूस किया जा रहा है। सदस्यों का आरोप है कि विकास कार्यों में ठेकेदार और अधिकारियों की भूमिका अधिक प्रमुख होती है, जबकि उनके विचारों और सुझावों को नजरअंदाज किया जाता है।

इसी प्रकार , क्षेत्र पंचायतों में भी यह समस्या आम है। वहां ठेकेदारों से काम करवा लिया जाता है, लेकिन क्षेत्र पंचायत के सदस्यों को उनकी भागीदारी और अधिकार से वंचित रखा जाता है। इस स्थिति में 5 साल का कार्यकाल समाप्त हो जाता है, लेकिन उन्हें न्यायपूर्ण हिस्सेदारी नहीं मिलती। यह समस्या केवल अधिकारों की अनदेखी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विकास कार्यों की प्रभावशीलता और पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करती है।
वर्तमान स्थिति और राजनीतिक प्रभाव
वर्तमान में बांदा जिला पंचायत की गूंज क्षेत्र पंचायत में सुनाई देने की संभावना है। यदि क्षेत्र पंचायत सदस्य भी न्यायपूर्ण साझेदारी की मांग करते हैं, तो यह संघर्ष पंचायत स्तर पर व्यापक हो सकता है। इसका राजनीतिक प्रभाव यह हो सकता है कि स्थानीय नेता और अधिकारी अपने कार्यप्रणाली में बदलाव करने को मजबूर हो जाएं।
हालांकि, यहां यह सवाल उठता है कि क्या विकास कार्यों का न्यायपूर्ण बंटवारा सुनिश्चित करने के लिए कोई ठोस नीति बनाई जाएगी?
न्याय और समाधान का सुझाव
● पारदर्शिता सुनिश्चित करना : जिला और क्षेत्र पंचायत में विकास कार्यों के लिए पारदर्शी प्रक्रिया लागू की जानी चाहिए, जिसमें सभी सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित हो।
● कार्य का न्यायपूर्ण बंटवारा : कार्यों के बंटवारे में संतुलन होना चाहिए, ताकि सभी सदस्यों को समान अवसर मिलें।
● स्थानीय समस्याओं को प्राथमिकता : विकास कार्यों में प्राथमिकता उन क्षेत्रों को दी जाए जहां आवश्यकता अधिक हो।
● नीतिगत सुधार : ठेकेदारों और अधिकारियों की मनमानी को रोकने के लिए ठोस नीतियां लागू करनी चाहिए।
सदस्यों का सशक्तिकरण : पंचायत सदस्यों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना और उन्हें निर्णय प्रक्रिया में शामिल करना आवश्यक है।
विशेषज्ञों का आकलन
बांदा जिला पंचायत के सदस्यों के बीच विकास कार्यों में न्यायपूर्ण साझेदारी की मांग, लोकतांत्रिक प्रणाली की मूलभूत आवश्यकताओं को सामने लाती है , ऐसी मांग के लिए ब्लाक स्तर पर क्षेत्र पंचायत सदस्यों मे भी चर्चा शुरू हुई तो यह राजनीतिक भूकंप लाकर खड़ा कर देगा क्योंकि अगर एकता से क्षेत्र पंचायत के सदस्यों ने ब्लाक वार आवाज दी तो सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ तक 2027 के पहले ही जमीनी हकीकत की आवाज सुनाई दे जाएगी , परिणाम स्वरूप राजनीति मे बड़े परिवर्तन का समय दस्तक देता नजर आ रहा है।
यह विवाद न केवल पंचायत स्तर की राजनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि विकास कार्यों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता पर भी गहरा असर डालेगा। सही दिशा में नीतिगत सुधार और पारदर्शिता सुनिश्चित करके इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।