By :- Saurabh Dwivedi
बिहारी जी के दर में सात्विक ऊर्जा का अथाह स्रोत है। जो मनुष्य को नई ऊर्जा प्रदान करती है। इनके दर पर प्रार्थना करने से जीवन के सवाल हृदय मे बुझ जाते हैं। ऐसे ही धर्म – आध्यात्म और भौतिक संसार पर पुजारी जी से संवाद हो रहा था। उन्होंने बिहारी जी के दर से श्रीकृष्ण की अद्भुत आवाज में जो कहानी सुनाई , वह कोरोना संकट के समय जीवन के अंधकार को प्रकाश में बदलने लगती है।
पुजारी जी ने कहानी की शुरूआत एक महिला के किरदार से की जो अक्सर देव स्थान जा कर पूजा – प्रार्थना करती थी। उस देव स्थान में तरह तरह के लोग आते थे। जैसे कि वर्तमान समय में पूजा कम पर्यटन के लिए भी लोग चले आते हैं। वैसे आजकल पूजा – प्रार्थना का स्थान अघोषित पर्यटन ने ले रखा है।
वह महिला एक दिन पूजा कर रीत जाती है। रीतने के बाद वहाँ के पुजारी से कहती है कि अब देव स्थान में आने लायक नहीं रह गया !
पुजारी अचरज से भर गया। उन्होंने अचरज भाव से महिला से सवाल किया !
बहन ऐसा क्यों कह रही हो आप ? भला देव स्थल पर आने मे कैसी समस्या हो सकती है ?
उस महिला ने संग बैठे हुए एक लड़का और लड़की की ओर इशारा किया। उनकी ओर इंगित करते हुए बोली कि देखो ; देव स्थान पर प्रेमालाप हो रहा है !
यह लड़का और लड़की बेशर्म होकर प्रेम लीला रच रहे हैं। इन्हें तनिक भय और शर्म नहीं कि खुले स्थान पर सटकर बैठे हुए हैं। इससे हमारी मानसिकता पर भी बुरा असर पड़ता है , पूजा भंग होती है और मन खराब हो जाता है।
पुजारी जी को माजरा समझ आ गया। उन्होंने कहा कि कल जब पूजा करने आना तो घर से प्रज्वलित दीप लेकर आना।
वो महिला कहने लगी। अरे पुजारी , ये कैसे हो सकता है ? घर से दीप प्रज्वलित कर लाना बड़ा मुश्किल काम है। हवा से दीप बुझ जाएगा !
पुजारी जी ने कहा आप दीप जलाकर लाओ तो और कोशिश करना कि दीप बुझे ना ; यदि बुझ जाएगा तो फिर सोचा जाएगा।
वो पुजारन मान गई और अगले दिन दीप प्रज्वलित कर मंदिर की ओर चल पड़ी। महिला ने मंदिर तक भरपूर कोशिश की कि दीप बुझने ना पाए।
अखंड प्रज्वलित दीप के साथ जब पुजारन मंदिर पहुंची तो पुजारी ने पूंछा कि आज क्या क्या देखा ? रास्ते मे क्या देखा ? मंदिर में और मंदिर के आसपास क्या देखा ?
पुजारन अचरज से भर गई ! यह कैसा सवाल है ? भला मैं क्या देखती ? मेरी हथेली में प्रज्वलित दीप था और मेरी हरसंभव कोशिश थी कि दीप बुझने ना पाए। इसलिये मेरी नजर दीप पर रही और दीप को ही संभालती रही , तेज हवा के झोंके से बचाती रही। इसलिये मुझे कुछ और नजर नहीं आया !
अब पुजारी जी ने कहा पुजारन यही रहस्य है कि कल तुम्हे पूरा संसार दिख रहा था। तुम्हे प्रेम करते हुए जोड़ा दिख रहा था। तुम्हारा ध्यान भंग हो गया था। और तो और खासा परेशान हो गई थी।
सोचो कि दोष किसका है ? हमारा या उनका ? संसार में तमाम तरह की गतिविधि चलती रहती है। वैसे ही मंदिर प्रांगण भी संसार के मध्य है। अतः यहाँ भी तमाम तरह की वर्जित घटनाएं हो सकती हैं परंतु नजर की बात है।
कल की नजर में संसार था और आज की नजर में सारा ध्यान दीप पर ठहर गया तो हम जो देखना चाहते हैं , वही दिखेगा। अतः पूजा के वक्त सारा ध्यान परमात्मा पर हो तो आसपास का कोलाहल कुछ नहीं बिगाड़ सकता। हमारा ध्यान परमात्मा की ओर होगा और प्रार्थना सफल होगी।
इसलिये यह अंतर्मन की बात है कि हमें क्या प्रभावित करता है ! पुजारन यह बड़ा संदेश होगा युगों युगों तक समय और परिस्थिति के अनुसार मनुष्य स्वयं को कैसे ढाल ले। बुरा देखना नहीं है और सारा ध्यान अच्छाई की ओर केन्द्रित रखना है। जिसमें जीवन की भलाई है।
बांके बिहारी मंदिर के पुजारी जी ने काफी समय पूर्व यह कहानी सुनाई थी। जो परमात्मा की कृपा से अब लिखी जा सकी है , जब पूरा देश और विश्व कोरोना संकट के समय खासा परेशान है और सारा ध्यान कोरोना महामारी से बचने पर लगाया जा रहा है।
तब स्मृति में कहानी ताजा हो गई और वह पुजारन व दीप का ध्यान याद आ गया कि यह वक्त महामारी से बचने के लिए बताए गए नियमों का पालन करने का है। जैसे पुजारन का ध्यान प्रज्वलित दीप की ओर हो गया , वैसे ही कोरोना से बचने के लिए लाकडाऊन का पालन करना होगा। सोशल डिस्टेंस के पालन से महामारी से बचा जा सकता है।

हथेलियों को समय-समय पर सेनिटाइजर से धोते रहें , और चिकित्सकों द्वारा बताई जा रही प्रत्येक सावधानी का पालन करें। धर्म – आध्यात्म और भौतिक संसार के त्रिशूल से ही कोरोना की चेन टूटेगी और महामारी का नाश होगा। मनुष्य और मनुष्यता पुनः सन्मार्ग पर चले , इसी में इंसानियत का भला है। कोरोना काल में परमात्मा का संदेश भी यही है कि ” मैं कहीं और नहीं हमेशा आपकी आत्मा मे हूँ । ” ऐसे समय के लिए ही कहा गया है कि आत्मा मे परमात्मा है।
________________
” सोशल केयर फंड “ कृष्ण धाम ट्रस्ट ( रजि. सं. – 3 /2020 ) हेतु ऐच्छिक मदद करें। हम ” गांव पर चर्चा ” और अन्य मदद भी निरीह को करते हैं। लेखन और पत्रकारिता के पथ से जागरण यात्रा शुरू किए हैं।
[ Saurabh chandra Dwivedi
Union bank A/c – 592902010006061
Ifsc – UBIN0559296
MICR – 559026296
karwi Chitrakoot]
बहुत खूबसूरत प्रसंग, अंतर्मन भिगो गया।
लाड़ली लाल की जय