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@Saurabh Dwivedi

गांव पर चर्चा का तीसरा गांव ग्राम दरसेडा , जहाँ युवा नेता विवेक तिवारी व ग्राम वासियों से विकास व नेतृत्व के सिद्धांत पर गहन चर्चा हुई .

गांव पर चर्चा के तीसरे पड़ाव में दरसेडा गांव से संवाद का रिश्ता शुरू हुआ है। इससे पहले ग्राम नोनार एवं बक्टा गांव की समस्या व समाधान पर चर्चा हुई और इस मुहिम में युवा संवाद कारगर भूमिका को अदा कर रहा है। ग्राम दरसेडा की मूलभूत समस्याओं को लेकर युवा विवेक तिवारी चिंतित हैं।

विवेक तिवारी ने गांव पर चर्चा जैसे कार्यक्रम को प्रमुखता प्रदान करते हुए कहा कि इससे गांव की समस्याएं हमेशा चर्चा के केन्द्र मे बनी रहेंगी और हम युवाओं का कर्तव्य है कि संगठित होकर समस्या व समाधान हेतु काम करें अन्यथा की स्थिति मे स्पष्ट नजर आ रहा है कि ना तो गांव से गंदगी समाप्त हो पाई है और ना ही विकास धरातल पर साकार हुआ है।

वे ग्राम दरसेडा की बदतर हालत पर प्रकाश डालते हैं। कहते हैं कि बचपन से युवा अवस्था तक गांव को लगभग एक सी हालत मे देखता आ रहा हूँ। समय-समय पर गांव मे जो भी विकास कार्य हुए सभी मे घटिया सामग्री का उपयोग किया गया , जिससे साल दो साल और छः महीने के अंदर ही विकास महामारी का शिकार हो जाता है , उसे खांसी – जुकाम और ऐसा ज्वर आता है कि विकास को सांस लेने मे तकलीफ होने लगती है फिर इलाज के अभाव में विकास का शव गांव में पड़ा नजर आता है।

हाँ ; विकास का शव देखना है तो गांव दरसेडा में बदहाल सड़क व गंदगी से बजबजाती नालियां देख लीजिए तो एक शव के समान बदबू गंध मारती हुई आपकी इंद्रियाँ महसूस कर लेंगी। कहीं सड़क बनी ही नहीं और तो और जरूरत के रास्तों पर बरसात के दिनों में ठोकर नहीं मिलेगी चूंकि बारिश के पानी से गलियां लबालब हो जाती हैं और आदमी हो या औरत चलने मे फिसलते हैं , बुजुर्गों को घूंघट काढ़ने वाली औरतों को चलने मे अत्यधिक समस्या का सामना करना पड़ता है। जबकि वह मानते हैं कि ईमानदारी से विकास कार्य कराए जाएं तो वास्तव में गांव ही स्वर्ग बन सकता है।

ऐसे ही वो अन्ना पशुओं के संबंध मे चर्चा करते हैं। एक दिन वे गांव पर चर्चा के प्रतिनिधि बनकर गांव पहुंचते और स्पष्ट नजारा दिखता है कि गोशाला रेगिस्तान बनी हुई है , ऐसा इसलिए कि जब गाय ही नहीं तो रेगिस्तान ही कहा जाएगा। गोशाला में अन्ना पशु थे ही नहीं और वायरल हुए वीडियो के बाद जनपद प्रशासन सक्रिय हुआ तब जाकर जांच हुई।

कार्रवाई का पत्र

जांच मे साफ पाया गया कि गोशाला बनी है पर पशु नहीं हैं। पड़ताल में पता चला पशु किसानों की फसल को उजाड़ते हैं लेकिन प्रशासन को जगाने पर सुध आई कि किसानों की फसल अन्ना पशु चट कर रहे हैं। इसके बाद प्रशासन हरकत मे आता है और पड़ताल कर अन्ना पशुओं के स्थाई वास हेतु गोशाला को स्थाई करने की कवायद शुरू होती है। उस पर भी गांव की जनता संतुष्ट तब हो जब वास्तव मे सरकारी दावे जन आकांक्षा को पूर्ण कर सकें।

विवेक गांव की शिक्षा पर भी बात करते हैं। उनका मानना है कि यदि गांव का नेतृत्व अच्छा हो तो शिक्षा की अलख जगाई जा सकती है। एक ग्राम प्रधान नौनिहालों की शिक्षा पर ध्यान दे तो सचमुच गांव से ही शिक्षित देश की तस्वीर सबसे सुंदर बनकर उभरेगी। उन्होंने कहा कि गांव ही भारत की आत्मा है तो ऐसे में एक अच्छा नेतृत्वकर्ता शिशु और युवाओं की शिक्षा में अच्छी भूमिका निभा सकता है जो आज तक नहीं हो सका कि मिड डे मील के अतिरिक्त प्रधान ने अच्छी शिक्षा पर कुछ सोचा हो या शिक्षकों से समन्वय स्थापित कर किया हो।

वह गांव में नेतृत्व की अच्छी फसल तैयार करने की वकालत करते हैं और ईमानदार सक्रिय नेतृत्व की आधारशिला गांव से ही तैयार हो सकती है , ऐसा सोचते हैं। इसलिए वो गांव की समस्याओं पर बुजुर्गों से चर्चा करते हैं व युवाओं से चर्चा करते हैं। वे किसान की अच्छी फसल , शिक्षा की अच्छी फसल और नेतृत्व की अच्छी फसल की पहल कर रहे हैं। अपनी युवा ऊर्जा के द्वारा जन – जन को जागरूक कर गांव को स्वच्छ स्वस्थ और सुंदर बनाने की परिकल्पना को साकार करना चाहते हैं।

गांव पर चर्चा के द्वारा वह भ्रष्टाचार मुक्त गांव पर बात करते हैं। एक सक्रिय भूमिका द्वारा विकास का आदर्श स्थापित करना चाहते हैं , जिसमें पर्यावरण संरक्षण के द्वारा हर – भरे गांव की परिकल्पना को साकार करना चाहते हैं। उनका कहना है कि गांव मे सकारात्मक संवाद बंद होने से गांव का बहुत नुकसान हुआ है , जनता के मन – मुताबिक गांव का विकास नहीं हुआ और जो विकास होता रहा वह घटिया निर्माण सामग्री और भ्रष्टाचार के द्वारा हर पांच साल के बाद मरणासन्न हो जाता है , जबकि शासन – प्रशासन की ईमानदार गहन दृष्टि अभी भी पड़ जाए तो भ्रष्टाचार की हर परत खुलकर सामने आ जाएगी परंतु अंतिम अपेक्षा गांव की जनता से है कि वह अब गांव में एक अच्छा नेतृत्व खड़ा करे और अपने विकास का भाग्योदय करे। समस्याओं से मुक्त समाज की परिकल्पना युवाओं को साकार करनी होगी , ऐसा उनका मानना है।

( गांव पर चर्चा दरसेडा )

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