@Saurabh Dwivedi
गांवो का देश भारत। एक ऐसा देश – प्रदेश जिसका अस्तित्व गांव हैं। जैसे मनुष्य का अस्तित्व आत्मा से है वैसे ही गांव भारत की आत्मा हैं। प्रगति के पथ पर ऊंची उड़ान भरने के बावजूद भी कहीं कुछ खोता प्रतीत होता है और जो खो रहा है वो गांव जीवन दर्शन है। इसलिए ग्राम्य जीवन के लिए काम करने की सबसे बड़ी आवश्यकता है। गांव पर चर्चा के चलते प्रोग्राम के साथ एक मुलाकात माॅडल गांव से भी जरूरी लगी , पिछले दिनों माॅडल गांव के एडवाइजर डा. हीरालाल से आत्मीय मुलाकात हुई।
गांव पर चर्चा की टीम मे विवेक तिवारी , अनूप त्रिपाठी और नीरज मेरे साथ यात्रा कर रहे थे। हम चारों माॅडल गांव के संबंध मे उत्साहित थे। एक उत्साह पूर्ण मुलाकात मे हमे महसूस हुआ कि जो कुछ भी हमने गांव पर चर्चा के माध्यम से कहा उसी का व्यवस्थित स्वरूप माॅडल गांव है। प्रोफेशनल वर्क का अर्थ ही यही है कि वो सबकुछ डिजाइन करके करते हैं व साधन – संसाधन हों तो माॅडल गांव जैसे प्रोजेक्ट पर ऐसे ही काम हो सकते।
एक उज्जवल भविष्य साधन – संसाधन से ही तय होता है। गांव मे भी साधन – संसाधन हो तो गांव का भविष्य उज्जवल होगा। किन्तु इतने गहरे चिंतन के लिए फुर्सत किसे है ? आज भागदौड़ की जिंदगी मे हम जीवन जीने की कला भूलते जा रहे हैं , गांव की जिंदगी से आनंद गुम होता जा रहा। गांव की कला की हत्या हुई जा रही है चूंकि यहाँ की प्रतिभाओं का अच्छा माहौल नहीं मिल पाता। किसी भी देश मे प्रतिभाओं की हत्या होती रहना उसके लिए सबसे बड़ा दुर्भाग्य है परंतु नेतृत्व अपनी दूरदर्शिता और संवेदनशीलता को मरणासन्न कर चुका है।
इसलिए गांव की सरकार का घोषणापत्र होना चाहिए। गांव के मुद्दों पर बहस होनी चाहिए और गांव के युवाओं को जिंदगी जीने की कला सिखानी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को जीवन जीने की कला आनी चाहिए। एक आनंदित जिंदगी के लिए समस्त प्रयास होने चाहिए। हालांकि कल्पना यही थी कि पंचायत चुनाव से देश – प्रदेश के लिए अच्छे नेता तैयार होगें परंतु ना के बराबर उदाहरण मिलेंगे जो गांव के चुनाव चुनकर जन की आवाज बनकर विधानसभा व संसद मे पहुंचे हों , यह भारत के लिए बहुत बड़ा खतरा है कि उसका नेतृत्व संवेदनशील नहीं है।
इसलिए आज की सबसे बडी जरूरत गांव पर चर्चा है। इस चर्चा के माध्यम से हम माॅडल गांव की बात करेंगे और गांव मे रोजगार की बात करेंगे। एक दूरदर्शी सोच यह है कि जीवन के लिए प्रेरणात्मक कथन कहे जाएं जिससे हर किसी की जिंदगी मे सुखद परिवर्तन आए।
इधर लंबे समय से गांव पर चर्चा के सफर मे खूब प्रगति हुई। इंटरनेशनल जर्नलिस्ट मनु चौधरी के साथ माय नेशन – माय विलेज मे घंटे भर संवाद हुआ तो वहीं माॅडल की टीम से मुलाकात होने पर गांव पर चर्चा का महत्व समझ मे आया। अब वो समय आ गया है जब हमे एक समान ऊर्जा से गांव के लिए काम करना होगा।
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{ Saurabh Chandra Dwivedi
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