इक्कीसवीं सदी मे भी जिस क्षेत्र की महिलाएं एक सीमित जीवन जीने के लिए जानी जाती हों और उनकी राजनीतिक सामाजिक पहचान शून्य स्तरीय हो वैसे बुंदेलखण्ड के चित्रकूट जनपद से राजनीतिक सामाजिक जीवन मे स्तरीय कार्य कर दिव्या त्रिपाठी ने व्यापक पहचान बनाई है।
बुंदेलखण्ड की जो मूल पहचान है वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई से जिन्होंने वीरता का ऐसा परिचय दिया कि गुलामी काल और विपरीत परिस्थित मे क्रूर अंग्रेजों को पस्त कर दिया था , ऐसे ही सम्मान रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड से नवाजी जा चुकी दिव्या त्रिपाठी का राजनीतिक सफर ग्राम प्रधान सेमरिया जगन्नाथी के रूप मे शुरू होता है , दिव्या त्रिपाठी का राजनीतिक – सामाजिक जीवन गौरांवित करने वाला है व यहाँ कि महिलाओं हेतु एक आदर्श जीवन है जिन्होंने भारत की आत्मा गाँव से राजनीति की शुरूआत कर अपने स्थानीय जनपद और क्षेत्रीय राजनीति मे महत्वपूर्ण स्थान बनाया है …..
गाँव से राजनीति की शुरूआत व कार्य ……….
दिव्या त्रिपाठी कहती हैं जिस गाँव मे बहू बनकर पहुंची उसी ने अपने प्रधान के रूप मे चुनकर मेरे राजनीतिक सफर का मार्ग प्रशस्त किया। मैं अपने ससुराल गाँव की सदैव ऋणी रहूंगी और जिस प्रकार पहले काम किया है वैसे ही अवसर मिलते ही सेमरिया जगन्नाथी के विकास के लिए लगातार काम करूंगी। मुझे मेरे काम करने की ललक पर पूरा भरोसा है कि एक दिन महात्मा गांधी की यह बात चरितार्थ होगी कि भारत की आत्मा गांव हैं और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी एवं सीएम योगी आदित्यनाथ जी की समस्त योजनाओं के साथ स्वच्छ भारत – स्वस्थ भारत अभियान पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है , आशा करती हूँ कि प्रत्येक गांव की जनता के सहयोग से हम इस अभियान में सफल होगें और सभी को प्रसन्नता होगी।
गाँव मे नशा मुक्ति के लिए चलाया गया आंदोलन सबसे ज्यादा यादगार रहेगा। लोग कहते हैं कि गाँव की महिलाएं क्या करेंगी ? परंतु बेलन आंदोलन चलाकर सेमरिया की महिलाओं ने नशा मुक्ति पर 80% सफलता पायी और राष्ट्रीय समाचार चैनल दूरदर्शन मे चर्चा का विषय बनीं , यह असाधारण कार्य महिलाओं ने कर दिखाया और अभी गाँव मे विकास तथा अच्छे माहौल हेतु कार्य करने की खूब आवश्यकता है।
प्रधान रहते हुए गाँव के स्कूल मे विशेष ध्यान दिया चूंकि शिक्षा से ही जगत मे उजियारा फैलता है। बेटे और बेटियों को एक समान शिक्षा मिले इस हेतु प्रयास किया। गाँव मे किसान और किसानी के लिए महत्वपूर्ण कार्य हुए। पंचायत भवन के निर्माण से लेकर प्रत्येक आवश्यक विकास कार्य बजट के अनुसार किया गया। सामाजिक विकास के लिए जनता से संवाद स्थापित कर उल्लेखनीय कार्य हुए और महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण विभिन्न संस्थाओं से मिलकर किया गया। ऐसे कार्यों से बनी पहचान ने बेटियाँ अवार्ड दिलाने मे महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.
समाज और प्रकृति के लिए कार्य व भागेदारी….
प्रधान बनने के बाद समस्त प्रधानों ने जब प्रधान संघ का जिलाध्यक्ष मनोनीत कर लिया तो कार्य क्षेत्र बढ़ गया और पहचान भी बढ़ने लगी। मुझे सामाजिक कार्यों मे आमंत्रित किया जाने लगा और पति संतोष त्रिपाठी के सहयोग से विभिन्न मंच पर पहुंचने लगी जिससे सभी को संबोधित करते हुए आत्मविश्वास बढ़ने लगा। ब्राह्मण समाज के परशुराम जन्मोत्सव जैसे अवसर मे पहुंचकर समाज के पिछड़े और शोषित – वंचित वर्गों के लिए काम करने की सोच को जन्म देना अच्छा लगा और ब्राह्मण समाज ने सहमति जताई।
मंदाकिनी नदी लाइफ लाइन है। इसका धार्मिक महत्व होने के साथ जीवन हेतु भी बड़ा महत्व है चूंकि पीने का पानी एक बड़ी आबादी को मंदाकिनी नदी से मिलता है। पाठा जलकल योजना एशिया की सबसे बड़ी योजना है और मृत होती मंदाकिनी से इस पर भी बड़ा संकट आया जिससे अविरल निर्मल मंदाकिनी के लिए सफाई अभियान चलाया। संत समाज के साथ मंदाकिनी आंदोलन मे शामिल हुई। मंदाकिनी के स्रोत जीवित रखने के लिए भविष्य मे भी प्रयास किए जाएं ऐसी उम्मीद रखती हूँ , युवाओं को ऐसे कार्यों की तस्वीर से प्रेरणा मिलती है इसलिए युवा – युवतियाँ अपने आदर्श के रूप मे देखने लगे तो यह गौरांवित करने वाला है।
राजनीतिक दल के रूप मे भाजपा ही पसंद क्यों ?
मेरे राजनीतिक सफर की शुरूआत निर्दलीय हुई जब मैं प्रधान बनी तब किसी दल के प्रति निष्ठावान नही थी। उस वक्त मेरा गाँव और गाँव की जनता ही मेरा दल रहे लेकिन जैसे ही राजनीति मे आगे के सफर की शुरूआत हुई तब भाजपा के प्रति निष्ठा महसूस हुई।
ऐसा इसलिए कि भाजपा एकमात्र दल ऐसा है जिसके विचार और धरातलीय कार्यों मे कोई विशेष अंतर नही नजर आया। जातिवाद और परिवारवाद से इतर एक ऐसा दल जो राष्ट्रवाद के लिए पूरी तरह से समर्पित है और लोकतंत्र की वास्तविक झलक भाजपा मे नजर आती है। जहाँ संगठन ही शक्ति है और कार्य करने वाले प्रत्येक कार्यकर्ता का सम्मान है व समय आने पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाती है।
अन्य दलों के हाल किसी से छिपे नही जहाँ परिवार का व्यक्ति पैदा होते ही प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का दावेदार हो जाता है भले वह उस योग्य ना हो। कांग्रेस , सपा और बसपा का उदाहरण सबको नजर आ रहा है कि परिवारवाद के चलते आज तीनों पार्टियां सिर्फ और सिर्फ संघर्ष करती नजर आ रही हैं और बसपा सुप्रीमो एकला चलो की नीति के कारण राजनीतिक जगत से मिटती नजर आ रही हैं और वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं की शक्ति संचार से बढ़ती चली जा रही है।
भाजपा मे एक बूथ का अध्यक्ष भविष्य का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हो सकता है ऐसी संभावना सिर्फ और सिर्फ इस दल मे नजर आती है। कोई सामान्य कार्यकर्ता योग्यता के अनुसार मुख्यमंत्री भी बन सकता है। यहाँ जातिवाद और परिवारवाद से बढ़कर राष्ट्रवाद और लोकतंत्र को महत्व दिया जाता है।
इसलिए मेरे जीवन का मनपसंद राजनीतिक दल भाजपा ही रहा है और आज मैं भाजपा महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष बनी तो एक सामान्य कार्यकर्ता होने के बाद ही बनी , इस दल मे महिलाओं को सम्मान है व राजनीतिक पदों पर महत्वपूर्ण स्थान प्रमुखता से बिना भेदभाव के दिया जाता है। मैं मातृशक्ति हूँ और भाजपा मेरी माँ जैसी पार्टी है और अंत तक भाजपा मे रहकर ही राजनीति करूंगी।
प्रधान और महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष बनने के बाद कोई और चुनाव क्यों लड़ना चाहेंगी ?
संगठन मे काम करना सबसे अच्छा अनुभव रहा और चित्रकूट जनपद मे महिलाओं को सक्रिय भूमिका मे लाने का मुझे अवसर प्राप्त हुआ। अच्छा तब लगा जब दल और समाज के लोगों ने कहा कि चित्रकूट मे महिला मोर्चा पहले से बहुत अधिक सक्रिय नजर आया है , जिसका कार्य वास्तविक रूप से दिखा है अनेक जगह पर शीर्ष नेताओं ने प्रशंसा की जिससे प्रोत्साहन मिला।
और स्पष्ट रूप से नजर दौड़ाई जाए तो अन्य दलों मे भी सक्रिय महिलाएं नही दिखती हैं। जबकि राजनीति मे महिलाओं को प्रमुखता देने के लिए और पचास प्रतिशत भागीदारी की चर्चा खूब की जाती है। खासतौर से बुंदेलखण्ड मे महिलाओं के लिए राजनीतिक क्षेत्र मे प्रोत्साहन मिलने की बहुत आवश्यकता है।
इसलिए मुझे विश्वास है कि दल का शीर्ष नेतृत्व अवसर आते ही मेरे नाम पर कोई चुनाव लड़ाने का विचार करेगा तो वह मुझे सहर्ष स्वीकार होगा। चूंकि जनहित के कार्यों के लिए जितना सेवा भाव जरूरी है उतना ही शक्ति का होना जरूरी है। सत्ता की शक्ति जनकल्याण के कार्यों के लिए सबसे अधिक प्रभावशाली है , मैं इस सोच के साथ पुनः चुनाव लड़ना चाहूंगी।
जनपद चित्रकूट सहित बुंदेलखण्ड मे कौन से महत्वपूर्ण कार्य करना चाहेंगी ?
बुंदेलखण्ड अपार खनिज संपदा का भंडार है यहाँ के खनिज संपदा की अर्जित आय से नोएडा और अन्य क्षेत्र का विकास हुआ। सर्वप्रथम यह आवाज सशक्त करनी है कि यहाँ की खनिज संपदा की होने वाली आय बुंदेलखण्ड के विकास पर लगाई जाए।
चित्रकूट धार्मिक नगरी है। यहाँ पर्यटन की अपार संभावना है परंतु उस स्तर से विकास नही हुआ , ना महत्व मिला। भले इन कुछ वर्षों मे चित्रकूट के विकास पर प्रदेश सरकार की दृष्टि पड़ी है। लेकिन अभी चित्रकूट मे पानी की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है इसलिए मंदाकिनी नदी और इसकी नदियों के पुनर्जीवन पर काम करने की जरूरत है। साथ ही असिंचित क्षेत्र को सिंचित बनाने का कार्य करना होगा जैसे पहाड़ी ब्लाक के नोनार , प्रसिद्धपुर , बछरन और सालिकपुर सहित दर्जनों गाँव की खेती सिंचित हो जाए तो किसान के घर खुशहाली आ जाए।
ऐसे ही मानिकपुर क्षेत्र के सुदूरवर्ती गाँवो मे भी पानी की समस्या मुख्य है। आज भी ऐसी रिपोर्ट हमे शर्मसार करती हैं कि ग्रामीण पानी के लिए तरस रहे हैं। अगर समग्र रूप से देखा जाए तो बुंदेलखण्ड की यही समस्या है और समाधान के लिए हर घर नल हर घर जल जो केन्द्र सरकार की योजना है और प्रदेश सरकार सहायक भूमिका मे काम कर रही है जिससे उम्मीद है कि पानी की यह समस्या अवश्य सुधरेगी।
सामाजिक समरसता के रूप मे बुंदेलखण्ड शांत क्षेत्र है। लेकिन यहाँ प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने और उच्च स्तर के लिए काम करने की आवश्यकता है। युवाओं को रोजगार मिल सके पलायन रूकना चाहिए इसके लिए भी लगातार काम करना होगा और एक अच्छा माहौल बनाना होगा।
भारत के मुख्य मुद्दे और वैश्विक स्तर पर भारत को कहाँ देख पाती हैं ? क्या करना चाहिए ? आपके विचार ………
वैश्विक स्तर पर वर्तमान भारत सशक्त भारत और समृद्ध भारत के रूप मे विख्यात हो रहा है , सुरक्षा की दृष्टि से भारत विश्व को स्पष्ट संदेश देने मे सफल हुआ जिसकी थ्योरी मे नेशन फर्स्ट अपनी जड़े जमा चुका है। आज चीन भी हमसे सीधे टकराने मे सोचने को विवश हुआ है इसलिए डोकलाम के मुद्दे पर कूटनीति और बातचीत से मोदी सरकार और हमारी सेना ने अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है। पड़ोसी देश पाकिस्तान हमारी विदेश नीति से इस तरह हताश हुआ है कि पीएम की कुर्सी से चलते चलते इमरान खान यह कहने को मजबूर हुए कि भारत की विदेश नीति हमसे उम्दा है। रूस – यूक्रेन के युद्ध के मौके पर भी बिना किसी के दबाव मे आए हमारी सरकार ने अपनी नीतियों पर व्यापार करने व अंतर्राष्ट्रीय रिश्ते बनाने के लिए स्वतंत्र रही है , यह वही भारत है जिसके प्रधानमंत्री रहते हुए स्व. अटल बिहारी बाजपेयी ने परमाणु परीक्षण कर दिखाया और विश्व बिरादरी के प्रतिबंधों का कोई असर नही पड़ा बल्कि विश्व हमसे व्यापार करने को पुनः बाध्य हुआ। हमारी सबसे बड़ी ताकत विश्व बंधुत्व की भावना है और शांति की स्थापना तथा कूटनीति।
हमारे आंतरिक मुद्दे समय और परिस्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं। अनेकता मे एकता को हमारा देश और समाज चरितार्थ करता रहा है। भारत का सबसे बड़ा जनभावनाओं से ओतप्रोत मुद्दा राम मंदिर हल हो चुकी है। शांतिपूर्ण तरीके से सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मुस्लिम पक्षकारों ने माना और राम मंदिर निर्माण प्रगति पर है। ऐसे ही पूर्ण विश्वास है कि आंतरिक मुद्दों पर बेशक संघर्ष उत्पन्न होगा लेकिन अंततः कानून के अंतर्गत निर्णय सर्वमान्य होता है।
एक बड़ा मुद्दा जनसंख्या नियंत्रण का है। विगत लंबे समय से सरकार परिवार नियोजन के प्रचार-प्रसार मे अपार धन खर्च कर रही है परंतु परिणाम बेहद निराशाजनक और असमान मिल रहे हैं। एक वर्ग स्वतः परिवार नियोजन अपना रहा है तो वही दूसरा वर्ग कतरा रहा है , जिससे असमान रूप से जनसंख्या बढ़ना भी लोकतंत्र मे घातक होता है। साथ ही साधन – संसाधन असंतुलित हो जाते हैं और उच्च जीवन स्तर निम्न जीवन स्तर की ओर पहुंचने लगता है जो किसी भी देश के विकास मे बड़ी बाधा है और विकसित देश का तमगा मिल ही नही सकता। इसलिए अनिवार्य परिवार नियोजन सरकार द्वारा लागू करने के अधिकार क्षेत्र मे है , जिसे अवश्य लागू किया जाना चाहिए।
और भारत मे इतनी विविधता है कि समय और संस्कृति के अनुसार क्षेत्रवार विभिन्न मुद्दे बनते – बिगड़ते रहते हैं। इसलिए भारत जैसे देश को उदार और सशक्त नेतृत्वकर्ताओं की प्रबल आवश्यकता रहेगी और मुझे इस जीवन मे देश – प्रदेश और समाज के लिए जितना काम करने का अवसर मिलेगा उतना ही मेरा जीवन साकार होगा।