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By – Saurabh Dwivedi

कुछ भी करना हो तो गुरु के साथ चेला का बड़ा महत्व है। समय और काम के अनुरूप चेला और चेलागिरी का स्वरूप अवश्य बदल सकता है। जैसे कि पत्रकारिता ही करनी हो तो महान पत्रकार बनने / कहलाने के लिए चेला का बड़ा महत्व है। ये चेला भी छोटा – मोटा पत्रकार हो सकता है। पत्रकार ना भी हो पर साथ चलने वाला हो सकता है। कहीं हल्का फुल्का चाट के ठेले में फुल्की के महत्व सा लिख लेता हो।

चेला इतना ज्ञानी हो कि व्हाट्सएप ग्रुप पर गुरू की कैसी भी , ऐसी-वैसी खबर पर दो – तीन और चार अंगूठे दे सके। यदाकदा पांच अंगूठे फाइव स्टार की तरह ठोक सके। जिससे गुरू की गुरूअई ” गुड़ ” की भांति कायम रहे।

ऐसे चेला आजकल खूब पाए जाते हैं। ये इरादतन पाले जाते हैं। बनाए जाते हैं। ताकि पत्रकारिता की प्रतिस्पर्धा में एक पत्रकार स्वयं को पत्रकारिता का मठाधीश साबित कर सके। चेला बहुत बड़ा काम करता है।

चेला को पता होता है कि गुरू पत्रकार की ब्रेक की हुई खबर पर क्या कहना है। अतः चेला अपनी चेलागिरी की मठाधीशी सिद्ध करने के लिए कह सकता है कि ब्रेकिंग न्यूज के मामले में अलाने – फलाने और ढिमकाने जैसे तमाम विशेषण से युक्त पत्रकार का कोई सानी नहीं। बड़ी से बड़ी न्यूज ब्रेक करने वाली एजेंसी पछाड़ खा गईं। ऊपर से ब्रेकिंग के नशेपन में रोजमर्रा की खबर भी ब्रेकिंग बन जाया करती है। अच्छा भी है कि ब्रेकिंग में चार लाइन लिखनी होती है फलस्वरूप पत्रकारिता का दद्दू बन जाना होता है !

असल में पत्रकारिता में न्यूज ब्रेक करना महान काम है। कुछ इस तरह कि एकाएक आग लग जाए और मुहल्लेवासी दौड़े – दौड़े आएं और दर्शक बनकर चीखें – चिल्लाएं कि कैसे हो गया ? कभी-कभी इस तरह भी कि बारात में शामिल बाराती दूल्हन को न्यूज ब्रेक की तरह देखते हैं। मतलब कि कोई शुभ न्यूज ब्रेक की जाए , जैसे कि दूल्हन की तारीफ होती है।

अतः कुछ भी करना हो तो चेला जरूर पालिए। व्हाट्सएप पर हो या फेसबुक पर हो और नई – नई पत्रकारिता के लिए धाक जमाने हेतु चेला मिठाई में ड्राई फ्रूट्स की तरह आकर्षण का काम करता है। वो बादाम , किशमिश और काजू – पिस्ता के गुणों से युक्त सबकुछ होता है। वफादार चेला मिल जाए तो सफलता में चार चांद लग जाता है।

तो निकल पड़िए चेला खोजिए अपने लिए। थोड़ा मंदबुद्धि का हो पर खासियत वफादारी की अवश्य हो और परेशान होने की जरूरत नहीं चेला वही बनेगा जो थोड़ा बुद्धि से हीन होगा पर बस कोशिश यही करिए कि चेला को चमत्कार दिखाते रहिए और अपना वफादार बनाइए। खतरा सिर्फ इतना है कि जिस दिन चेला समझदार हुआ , थोड़ा मंझ गया और अपना उज्ज्वल भविष्य देखने लगा तो गुरू को किसी खास खुलासे की तरह भारी पड़ सकता है। अतः चेला को समस्त रहस्य से जानकार मत रखिएगा।

यह व्हाट्सएप ग्रुप पर एक चेला की चेलागिरी से लिखा गया चेलापुराण है। गौर फरमाइएगा जरा चेलापुराण पर परंतु इस पुराण को पढ़ने का कोई पुण्य नहीं मिलेगा तो पाप भी नहीं है। ये ज्ञान है , गुरू – चेला की जुगलबंदी का। शर्त सिर्फ इतनी सी स्मार्ट मोबाईल के युग में चेला थोड़ा स्मार्ट तो होना चाहिए।

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