By :- Saurabh Dwivedi
देवों के देव महादेव रूपी डा. रोहित द्विवेदी
ये वक्त मानवरूपी देवों के देव महादेव के अप्रत्यक्ष वास्तविक स्वरूप चिकित्सकों का है। जो कोरोना विष को पीने हेतु तत्पर हैं , वह जीवन को अमृत पिलाने के लिए स्वयं के जीवन कोरोना विष के संक्रमण से भयभीत नहीं हैं। इस समय वही हैं , जो जीवन की आश हैं। एक ऐसे ही चिकित्सक की सेवा लगातार देखने मे आ रही है तो वहीं हृदय फटकर बादल हो जाता है , जैसे एकाएक कोई बादल फट गया और त्रासदी आ गई।
बादल फटने की घटना से समूचा समाज रूबरू है। पूर्व वर्षों में उत्तराखंड में जब बादल फटा था , तब संकट इस तरह गहरा गया कि जीवन , मृत्यु में तब्दील हो गया। ऐसा ही कुछ डाक्टर्स के साथ हो रहा है। किसी एक बस्ती से कुछ चंद युवा और चंद परिपक्व उम्र की महिलाएं घरों से बाहर निकलकर और छत पर चढ़कर पत्थर बरसा रहे हैं।
ये पत्थर उन चिकित्सक के सर पर पड़ रहे हैं और रक्त की धार पानी की बौछार की तरह छलछला जाती है। ऐसी तस्वीर और हकीकत की घटना देखकर संवेदनशील मन अत्यधिक द्रवित हो जाता है। जबकि वर्तमान कलयुग के सांसारिक समुद्र मंथन में चिकित्सक वह देवों के देव महादेव हैं , जो असुर प्रकृति के कोविड – 19 का विष धारण करने हेतु उद्विग्न हैं। वह चिकित्सक कहते हैं कि जान देकर जान बचाएंगे।
ऐसे चिकित्सक का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी बड़ा सम्मान करते हैं और चिकित्सक समुदाय के प्रति कृतज्ञ भाव जताते हैं। ऐसे ही प्रधानमंत्री के एक लाडले युवा चिकित्सक से हमारी भेट पिछले दिनों हुई थी।
एक ऐसा युवा जो वैन पर अस्पताल लेकर साथ चल रहा था। वह समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभाने के लिए पहले से तैयार था। स्व – जन्मभूमि धार्मिक नगरी चित्रकूट में डा. रोहित द्विवेदी की सेवा का समाज कृतज्ञ रहेगा। यह कोरोना संक्रमण से पहले ही स्वास्थ्य सेवा के लिए तत्पर थे और कोरोना संक्रमण के दौरान प्रधानमंत्री का लाडला बन राष्ट्र सेवा – समाजसेवा कर रहे हैं।
यह एक ऐसी दौर है , जब खतरा अदृश्य रूप से हमारे अंदर प्रवेश कर जाता है और चिकित्सक इस तथ्य से परिचित हैं। यह अहसास है कि समुद्र मंथन का वह जहर है , जिसे पीने से समूची मानव सभ्यता का विनाश हो जाएगा। फिर भी डा. द्विवेदी अपनी प्रिय पत्नी से दूर समाज की सेवा कर रहे हैं , तो ध्यान आकृष्ट करने की बात है कि इनसे मीलों दूर इनकी वाइफ भी पति जैसी सेवा कर रही हैं। पति – पत्नी चिकित्सक हैं और जान पर खेलकर जान बचा रहे हैं।
उस समाज को अहसास करना चाहिए। जो पत्थर बरसा रहे हैं , पर डाक्टर्स की आत्मीय भावनाओं को नजरंदाज कर रहे हैं। यह तनिक सोच नहीं रहे कि अपनी जिंदगी कितनी प्यारी होती है कि कोई भी व्यक्ति लाखों – करोड़ो की पूंजी ठुकरा सकता है परंतु जानबूझकर मौत को गले नहीं लगाएगा।
अब इटली से कुछ तस्वीरें आई हैं , जिनमें पूंजी रूपी रूपया सड़क पर लावारिस पड़ा है। सोचिए कि डाक्टर्स पर पत्थर बरसा कर हम डाक्टर्स को नहीं बल्कि स्वयं की आत्मा और स्वयं की परमात्मा पर पत्थर मार रहे हैं।
ऐसा ही कुछ भाव ” भावुक ” हृदय से डा. द्विवेदी ने हमसे कहा कि यह दौर मानव सभ्यता को बचाने का है और मृत्यु तो सभी की निश्चित है परंतु निश्चित मृत्यु से पहले जीवन बचाने की कवायद में हम डाक्टर्स जो भूमिका निभा सकते हैं , वह समाज के प्रति निभा रहे हैं। उन्होंने निवेदन किया कि डाक्टर्स का उत्साह खत्म करने के बजाए उत्साह बढ़ाएं और प्रधानमंत्री – मुख्यमंत्री के प्रयासों के साथ कोरोना संक्रमण मुक्त होने का लक्ष्य प्राप्त करें. उन्होंने खुशी जताई कि जनपद चित्रकूट कोरोना संक्रमण के प्रभाव से अभी मुक्त है और आशा जताई कि सभी की मेहनत से हम जनपद वासी कोरोना मुक्त ही रहेंगे।
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( Saurabh chandra Dwivedi
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