By :- Saurabh Dwivedi
रूप
तुम्हारा देखा
अदाएं
तुम्हारी देखीं
जलवे बिखेरती
तस्वीरों से
प्रसिद्धि का अंदाजा लगाया
लिखावट
तुम्हारी पढ़ी
अजीज हुए
शब्दों के तुम्हारे
पर अफसोस
सीएए , एनआरसी पे
जब की तुमने
अफवाह भरी पोस्ट
जमीं पर मख्खी सी
मरी नजर आई
देश मे हिंसा फैलाने की
भागीदार हुई तुम
हृदय नजर से
सम्मान तुम्हारा ढल गया
हे वामिनी
मानवता नहीं रही
तुम में
शब्दों की सजावट से
चेहरे की बनावट से
कब तक रहोगी
कामयाब तुम
हे वामिनी
तुम हिंसा की भागीदार हुई
स्याही तुम्हारी हुई
खूनी
बोलो हम
कैसे पढ़ें किताब
तुम्हारी ….
सत्यमेव जयते