#30_फरवरी
“मैं रोज रोज की किच किच से तंग आ गयी हूँ। घर में आते ही तुम शुरू हो जाते हो। दोस्तों के साथ कुछ भी हो, गुस्सा आकर मेरे ऊपर उतारते हो। आज होली है फिर भी तुमको तो बस मुझसे झगड़ना है।”
अंजलि ने लगभग चिल्लाते हुए कहा। आज पहली बार वह इतने जोरों से शुभम् के ऊपर चिल्ला रही थी। आज कई दिनों का गुस्सा और खीज वह शुभम् के ऊपर उतार देना चाहती थी। शुभम् ने कभी सोचा भी नहीं था अंजलि इस तरह बोल सकती है। वह अचानक हुए अंजलि के वाणी के इस प्रहार से सकते में आ गया।
शुभम् कुछ बोलता उससे पहले अंजलि एक बार फिर बोल पड़ी,
“शुभम्! रोज रोज अच्छा लगता है क्या ये सब? जब देखो तब तुम झगड़ा ही करते रहते हो।”
“हाँ हाँ मैं रोज रोज झगड़ा करता हूँ। चलो तुम ही कोई एक तारीख बता दो जिस दिन मैं झगड़ा करूँ।”
शुभम् दाँत पीसते हुए बोला।
“30 फरवरी”
अंजलि ने बड़ी मासूमियत से कहा।
एक पल को कमरे में सन्नाटा छा गया। लेकिन जैसे ही शुभम् को समझ आया। उसकी हंसी छूट गयी। उसने अंजलि को गोद में उठा लिया और उसके माथे पर प्यार की मोहर लगाता हुआ बोला,
“हैप्पी होली अंजलि”
अंजलि आज शुभम् के प्यार के रंग से अंदर तक सराबोर हो गयी थी।
By – alka srivastav