वर्ष 2023 का पहला मन की बात कार्यक्रम मे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनवरी को उत्सव का महीना कहा और भारत की सांस्कृतिक परंपरा पर कन्याकुमारी से जम्मू कश्मीर तक के उत्सव व सांस्कृतिक विविधता पर अनेक बातें कहीं तो वहीं लोकतंत्रात्मक परंपरा की भी व्याख्या की ओर भारत कैसे मदर आफ डेमोक्रेसी है इसे स्पष्ट किया।
आदिवासी समाज के सम्मान को लेकर उन्होंने अनेक बिन्दुओ पर बात करते हुए भारत के सर्वजन को एक माला मे पिरोए जाने के संकेत दिए। यकीनन हर भारतीय भारत नामक माला का हीरे – मोती हैं जो एक ही माला मे एकता के मंत्र से विश्व मे सबसे ज्यादा ताकतवर हैं।
हालांकि इस एकता को खत्म कर कचरे मे तब्दील करने के लिए बाहरी ताकतें हमेशा प्रयास करती रही हैं। फिलहाल देश मे ऐसी ताकतें पुनः सक्रिय होने कि फिराक मे हैं। इसलिए प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम से उत्सव की परंपरा और लोकतंत्र की खूबसूरती पर बोलते हुए एकता की शक्ति पर जोर दिया।
तो वहीं ई कचरा के लिए चिंतित नजर आए। भारत मे ई कचरा प्रबंधन की सख्त जरूरत पर बल दिया। उनकी यह चिंता जायज है चूंकि ई कचरा भविष्य मे सबसे बड़ी चुनौती साबित होगी इसलिए अभी से इसके प्रबंधन के इंतजाम होने से निपटने मे सरलता होगी।
व्यक्ति हो या व्यवस्था समय-समय पर उसकी खूबसूरती और अपनत्व पर प्रकाश डालना आवश्यक होता है। एक व्यक्ति और व्यक्तित्व के तौर पर बतौर प्रधानमंत्री मोदी जी ने साल के पहले महीने मे लोकतंत्र की खूबसूरती का वर्णन कर विश्वसनीयता पर जोर दिया और लोकतंत्र से समाज का कितना भला है यह स्पष्ट किया है।
विश्व मे साफ संदेश दिया है कि भारत डेमोक्रेसी आफ मदर है। एक्चुअल यही है कि इंडिया मदर आफ डेमोक्रेसी है। सन् 1947 मे आजाद होने के बाद भारत ने लोकतंत्र की अग्नि परीक्षा मे हर बार सफलता प्राप्त की है। यहाँ हमेशा सरकारें लोकतंत्रात्मक तरीके से सरकारें चुनी गईं और जनहित मे सख्त निर्णय भी लिए गए। और वही भारत 2014 से सशक्त भारत समृद्ध भारत का नारा देता है जिसका लोकतंत्र विश्व का सबसे विश्वसनीय लोकतंत्र है।