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@Saurabh Dwivedi

बरद्वारा / चित्रकूट : कला जगत की प्रथम सीढ़ी मे नाम कमा चुके जनपद चित्रकूट के बरद्वारा गांव के निवासी चंद्रहास पाण्डेय सहित उनके माता-पिता इक्कीसवीं सदी मे भी अंधेरे मे रहने को मजबूर हैं और अफसरों का हर वादा बेवफा प्रेमी की तरह टूट जाता है। एक घनचक्कर सा परिवार को महसूस हो रहा है कि अंधेरे से आजादी कब ?

सब डिवीजन राजापुर द्वारा बरद्वारा गांव के एक पुरवा मे निवास करने वाले परिवार के घर की दीवार में मीटर टांग दिया जाता है , तत्पश्चात बिजली का बिल भी आना शुरू हो जाता है। अपनी गति से चलायमान बिल 106 रीडिंग तक का बनाया गया। कितने अफसोस की बात है कि जहाँ एक जीरो वाट का बल्ब ना जला हो वहाँ मनमाना बिल भी पहुंच जाता है। विभाग द्वारा कभी तार और खंभे लगाए नहीं गए ऊपर समस्या के समाधान के प्रयास शुरू होने पर आनन-फानन मीटर निकलवा लिया जाता है।

सब डिवीजन के अफसरों द्वारा कहा गया कि आपके यहाँ टाटा कंपनी द्वारा सोलर पैनल लगाने को संस्तुति दी जा चुकी है। जब स्वयं चंद्रहास पाण्डेय टाटा कंपनी से आनलाइन शिकायत दर्ज करते हैं तो इस प्रोसेस पर भी वीरबल की खिचड़ी की भांति समस्या पकती नजर आ रही है।

अधिकारियों की कार्यशैली वीरबल की पकने वाली खिचड़ी की तरह हमेशा रहती है। जबकि स्वयं एक्टर चंद्रहास का कहना है कि अंधेरे मे सर्प , बिषखापर जैसे खतरनाक जीव घर के अंदर नजर आते हैं और बुजुर्ग माता-पिता उनकी अनुपस्थिति में बड़ी हताशा महसूस करते हैं।

वे किसी अनहोनी से डरते हैं और अफसरों की उदासीनता उनके संवेदनशील मन में हमलावर है। घर में प्रकाश ना होने से कोरोना काल में वह अवसाद से ग्रसित हो रहे हैं। यहाँ से जिंदगी का अंधेरा मिटाने के लिए मुंबई गए , वहाँ परिश्रम के बदौलत ‘प्यार के पापड़ ‘ , क्राइम पेट्रोल , सावधान इंडिया और कसौटी जिंदगी की जैसे फेमस धारावाहिक में काम किया। लेकिन एक ऐसे एक्टर के घर में बिजली ना पहुंचना बड़े शर्म की बात प्रतीत होती है।

वह लगातार ट्विट कर रहे हैं। प्रशासन से लेकर शासन तक को अवगत करा रहे हैं परंतु किसी भी इतनी बड़ी पहल नहीं है कि वो सोलर पैनल लगाकर अथवा बिजली पहुंचाकर एक परिवार को राहत दे सकें।

उन्होंने कहा कि यह अंतिम प्रयास है यदि शासन – प्रशासन को नजर आता है और प्रकाश की कुछ व्यवस्था हो सकती है तो ठीक अन्यथा आजाद भारत में अंधकार ही नसीब मानकर जीना होगा। किन्तु हर बार मन कहता है कि और प्रयास करो फिर भविष्य मे ऊर्जा मिलेगी तो जरूर प्रत्यास किया जाएगा। फिलहाल वह शासन – प्रशासन से आशा करते हैं कि उनके घर तक बिजली की व्यवस्था या फिर सोलर लाइट की व्यवस्था शीघ्र ही कर दी जाए। गौरतलब है कि नेडा के इंचार्ज ओपी शुक्ला ने इनसे फोन पर कहा कि अभी भी कम से कम तीन महीने लग सकते हैं , उस पर भी कुछ सुनिश्चित नहीं है। अर्थात इस तरह की अनिश्चित अंधकारमय जिंदगी जीने के लिए कलाकार और उसका परिवार मजबूर है।
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