ग्रामीण महिलाओं को रोजगार संपन्न बनाने के उद्देश्य से कृषि विज्ञान केन्द्र गनीवाँ चित्रकूट अनेक प्रशिक्षण कराता है। गाँव हो या शहर पेठा एक ऐसी मिठाई है जो हर वर्ग के लोगों के जीभ का पसंदीदा स्वाद है , वहीं इसके औषधीय गुण भी हैं।
दीनदयाल शोध संस्थान के अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र गनीवाँ मे ग्रह विज्ञान विभाग के माध्यम से महिलाओं को पेठा बनाने का एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। ग्रह वैज्ञानिक ममता त्रिपाठी ने महिलाओं को पेठा बनाने की वैज्ञानिक विधि बताकर समस्त सावधानियां बरतने की जानकारी दी।
कृषि विज्ञान केन्द्र सतना से पधारे अतिथि ग्रह वैज्ञानिक हेमराज द्विवेदी ने महिलाओं को प्रशिक्षण के लाभ गिनाए और किस तरह स्वावलंबन के द्वारा धन कमाया जा सकता है इस ओर महिलाओं का ध्यान आकृष्ट कराया। महिलाओं के सामने ही उस कद्दू को छीलना , काटना दिखाया गया जिससे पेठा बनाया जाता है। आमतौर पर गांव मे इस कद्दू को बरिहा कुमठा बोलते हैं।
इस दौरान वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं केन्द्र के प्रमुख डा. चंद्रमणि त्रिपाठी ने महिलाओं से पेठा मे गुणवत्ता बरकरार रखने के विषय मे सरल लहजे से बातचीत की और उन्हें अहसास कराया गया कि पेठा का भी कितना बड़ा बाजार है जो अच्छी गुणवत्ता का पेठा बेचकर नाम और दाम दोनो कमाया जा सकता है।
आखिर आगरा का पेठा कौन नही खाना चाहेगा ? ऐसे ही गाँव का पेठा भी प्रसिद्ध हो सकता है यदि ग्रामीण महिलाओं का विजन क्लियर कर दिया जाए तो सचमुच बुंदेलखण्ड मे अपार संभावनाएं हैं। दीनदयाल शोध संस्थान के अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र गनीवां मे प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य भी यही रहा कि ग्रामीण महिलाएं स्वरोजगार से जुड़े और स्वावलंबी बनें।