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राजस्थान मार्बल मे हो रही भागवत कथा

चित्रकूट : राजस्थान मार्बल अमानपुर बेड़ी पुलिया मे नवीन शोरूम के उद्घाटन समारोह के अवसर पर 7 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन भी हो रहा है। जिसके कथा व्यास श्री श्री 1008 श्री बद्री प्रपन्नाचार्य जी महाराज हैं एवं मुख्य यजमान दिनेश मिश्रा हैं। पहले दिन उन्होंने कथा श्रवण करने के तरीके बताए और कथा का शुभारंभ किस तरह हुआ। कथा कौन कह सकता है ? यह भी श्रीमुख से बोले.

कथा व्यास श्री श्री 1008 श्री बद्री प्रपन्नाचार्य जी महाराज सर्वप्रथम पहले दिन गद्दी पर विराजमान हुए। साक्षात परमेश्वर की दिव्य वाणी से कथा की शुरूआत हुई। महत्वपूर्ण रहस्य को उन्होंने कहना प्रारंभ किया।

सर्वप्रथम उन्होंने जिम्मेदारी पर दिव्य वाणी का प्रवाह किया। श्रीमुख से बोले कि यजमान को लगता है कि एक बार कथा व्यास गद्दी पर बैठ जाएं फिर हमारी जिम्मेदारी समाप्त हो गई किन्तु वह बोले कि श्री दिनेश मिश्रा जी जो मुख्य यजमान हैं अब आपकी जिम्मेदारी की शुरूआत हुई है चूंकि अब कथा शुरू हो चुकी है।

तत्पश्चात दिव्य वाणी से बोले कि कथा सुनने के लिए एकाग्रता की आवश्यकता पड़ती है। एकाग्र होकर कथा का श्रवण करना चाहिए तभी कथाकार और स्रोता के रिश्ते से परमात्मा का दिव्य अवतरण हृदय मे होता है।

भागवत कथा कौन कह सकता है ? अर्थात भगवान का चित्रण कौन कर सकता है ? इसका सरल सा जवाब है ‘ स्वयं भगवान ‘। यह सत्य है जैसे कुरूक्षेत्र के मैदान मे श्रीमद्भागवत गीता स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने कही थी। इसलिए कथा व्यास भी मानते हैं कि स्वयं भगवान की वाणी से वह कथा सुना पाते हैं।

कथा कब और कैसे प्रारंभ हुई ? यह प्रश्न करते हुए कथा व्यास जी बोले नैमिषारण्य वन मे महात्मा – ऋषियों ने कथा का संकल्प लेने के लिए कहा तब यह प्रश्न उठा कितने दिन का संकल्प ? एक दिन , सात दिन जब दिन मे बात नहीं बनी तब महीने भर की बात आई उससे भी इंकार होने पर वर्ष भर की बात हुई लेकिन महात्मा – ऋषियों ने कहा वर्षों अनंत काल तक भागवत कथा चलनी चाहिए। उस समय से सौनक ऋषि के नेतृत्व मे अट्ठासी हजार महात्माओं ने जो संकल्प लिया था वही भागवत कथा अनवरत चल रही है।

कथा व्यास श्री श्री 1008 महंत श्री बद्री प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने कथा सुनने मे कुशलता का वर्णन किया। भागवत कथा श्रवण करने मे कुशल नहीं होंगे तब तक भागवत कथा सुनने का आनंद नहीं मिलेगा। महात्मा कुशल हैं इसलिए उन्हें कथा श्रवण करने का आनंद मिलता है।

सौनक ऋषियों ने प्रश्न पूछे कि हे प्रभु ! हमारा मन अज्ञानता से ग्रस्त है। क्या व्यास की दिव्य वाणी पुनः बोले उठी कि देखो महात्माओं का मन मे भी संदेह है कि गंगा नहाने और हवन करने व यज्ञ आदि करने से हमारे जीवन का उद्धार हो जाएगा ?

कथा व्यास की दिव्य वाणी से पुनः प्रश्न उत्तर शुरू होता है कि फिर आम मनुष्य के जीवन का तो बहुत बड़ा प्रश्न है ? क्या उसके जीवन का उद्धार हो जाएगा ?

ऐसी कथा जिसको सुनकर भक्ति आ जाए। ऐसी कथा जो हमारे जीवन का पवित्र कर दे। ऐसी कथा जो हमारे जीवन का कल्याण कर दे। भगवान कृष्ण की प्राप्ति का जो उपाय हो वो बताने का कष्ट करें !

भागवत कथा मे मनुष्य के मानस के संदेह समाप्त होते हैं व परमात्मा की भक्ति व कथा श्रवण करने की कुशलता प्राप्ति होती है। जैसे क्या व्यास बोले कि जिस व्यक्ति से प्रेम हो अत्यधिक गहरा प्रेम हो ऐसे व्यक्ति के साथ बैठकर कथा नहीं सुननी चाहिए बल्कि अजनबी के साथ बैठकर कथा सुननी चाहिए। जिससे आपकी एकाग्रता कथा श्रवण करने मात्र मे रहेगी। और कथा श्रवण करने से भगवान श्रीकृष्ण की प्राप्ति का रहस्य आपके मन मे उजागर हो सकता है। इसलिए पहले दिन से ही कथा श्रवण करने की कुशलता अर्थात दक्षता हासिल कर लें।

भागवत कथा 2 अप्रैल तक चलेगी और 3 अप्रैल को भंडारा का आयोजन है।

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