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By – Saurabh Dwivedi 

सचिन तेंदुलकर एक प्रचार में कहते हैं कि अशुद्ध पानी पीने की वजह से जाने कितनी प्रतिभाएं सचिन बनने से रह जाती हैं अर्थात अशुद्ध पानी से प्रतिभावान व्यक्ति बीमार हो जाता है और उसकी क्षमता पर असर पड़ने लगता है। 

क्या कभी सचिन यह कह सकते हैं कि जातिवादी आरक्षण की वजह से जाने कितनी प्रतिभाएं सचिन बनने से रह जाती हैं। देश का कोई भी नेता चुनाव हारने के भय से राष्ट्रव्यापी इस कोढ़ को खत्म करने के लिए एक कदम आगे नहीं बढ़ा सकता है। 

सिर्फ जातिवादी आरक्षण ही नहीं बल्कि बढ़ती जनसंख्या और सरकारी नीतियां प्रतिभावान युवाओं के लिए काल बनती रहीं। जिससे आए दिन प्रतिभाओं की साइलेंट डेथ होती है। 

मालूम नहीं कि सरकार के सलाहकार कैसे होते हैं और प्रतिष्ठित पदों पर बैठा हुआ व्यक्ति इनकी सलाह को मान कैसे लेता है ?

हाल ही में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने रिटायर्ड शिक्षकों को संविदा में भर्ती करने के लिये दिल ताजमहल सा कर दिया है कि आओ पर्यटन स्थल है, थोड़ी देर ठहर कर आनंद लो फिर विदा हो जाना और फिर कोई आएगा ? 

मोदी कहते रहे कि युवाओं का भारत है और बेरोजगार युवाओं को नौकरी देगें, योगी आ गए लेकिन युवाओं को नौकरी देने की जगह बुजुर्गों को पुनः “मउर” पहनाकर दूल्हा बेशक बना दो, किन्तु रसायनवटी खाकर भी इनमें वो ताकत नहीं आएगी कि दूल्हे वाला किरदार निभा सकें अर्थात ना इन्होंने पहले पढ़ाया था और ना अब पढ़ाएंगे परंतु वक्त के साथ शिक्षित युवाओं पर रहम करिए।

खारिज कर दीजिए ऐसी हर योजना को जो प्रतिभाओं का दमन करती है वरना जनता हर उस सरकार और शख्स को खारिज करती जाएगी, जो अब और रूलाना चाहेगी। 

उत्तर प्रदेश हो या सम्पूर्ण भारत जहाँ जहाँ युवाओं को रोजगार की आवश्यकता है, उन्हें रोजगार दीजिए और रोजगार नहीं होगा तो यकीन करिए सोशल मीडिया में आपके योद्धा स्वयं मर जाएंगे और आप ही उनकी मौत के जिम्मेदार होगें, बिन सैनिक का राजा कमजोर हो जाता है फिर हार सुनिश्चित हो जाती है। 

अपने योद्धाओं को बचा लीजिए, देश के योद्धाओं को जीवन दीजिए। जिससे देश जीवंत रहेगा, लोकतंत्र के साथ न्याय करिए। 

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