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By :- Rita sharma

हम कब आम जनता से विशेष राजनीतिक दलों के प्रचारक बन गए, इसका अहसास शायद हमें खुद भी नहीं होता है l भारत एक प्रजातांत्रिक देश हैं, सत्ता किसी भी एक दल के हाथ में हमेशा नहीं रह सकती l ये आमजन ही है जो कभी किसी तो कभी पार्टी को मौका देते हैं, मगर ध्यान रहें कि आम जन किसी भी पार्टी के विचारधारा से जुड़े नहीं होते.. वो पिछले कार्यों और आगामी चुनावी एजेंडा के आधार पर वोट करते हैं और सबसे बड़ी बात कि सरकार जिसकी भी बनती है वो फिर उसी से विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार की उम्मीद करते हैं..भले ही उन्होनें उस पार्टी को वोट दिया हो या नहीं l

लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि प्रजातंत्र का मूल उद्देश्य कहीं खो सा रहा है.. अब तो नेता गण वोट न मिलने पर श्राप देने की भी बात करते हैं.. अपने पाप जनता के सर पर जाने को बोलते हैं.. एक दूसरे की सभा में जूते, चप्पल भी चला /चलवा देते हैं l
इन सबसे कुछ कुछ तानाशाही की बू आने लगी है.. ऐसे समय में युवाओं को बहुत सोच समझ कर वोट करना चाहिए.. क्यू कि देश के भावी कर्णधार भी वहीं हैं.. किसी पार्टी विशेष को वोट के बजाय अपने अपने क्षेत्र के उम्मीदवार और उनके एजेंडा के आधार पर वोट करें.. क्यू कि कहीं कोई अच्छा काम कर रहा है तो कहीं कोई और l

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