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By :- Saurabh Dwivedi

ऐसा नहीं कि
खूबसूरती देखी नहीं
मैंने ……

देखी पर
तुझ सी
खूबसूरती देखी नहीं
मैंने……

बता मेरी
आंखो को दोष है
या महज
मन का भ्रम है

ये भ्रम ही
मन का प्रेम है
इसलिये हर खूबसूरती में
इक तेरी खूबसूरती
भाती है मुझे….

हाँ यही वो
मन का प्रेम है
मेरे दर्दे जिगर ….

तुम्हारा ” सखा “

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